भू माफिया मद्दा की गिरफ्तारी पर लगी रोक हटवाने हाईकोर्ट पहुंची पुलिस

  
Last Updated:  February 4, 2023 " 03:48 pm"

इंदौर : इंदौरी दाऊद बने मद्दा को पुलिस कभी पकड़ नहीं पाई। उसे हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जमानत मिलती गई। पिछले दिनों भी हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय के फर्जी दस्तावेज मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, जिसे हटवाने पुलिस अब हाईकोर्ट पहुंची है।इस पर 9 फरवरी को सुनवाई होगी। दूसरी तरफ दीपक मद्दा की पत्नी ने पुलिस को एक आवेदन देकर रिश्तेदार द्वारा उक्त फर्जी दस्तावेज बनाने की बात कही है। पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी मिलने के बाद ही उसके खिलाफ कोर्ट में जवाब पेश करने का निर्णय ले लिया था।
जितनी बार भी माफियाओं के खिलाफ ऑपरेशन चला उसमें हर बार चर्चित भूमाफिया दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई। कई बड़े भूमाफिया गिरफ्तार होकर जेल भी पहुंचे और कई महीनों बाद उन्हें जमानत मिल पाई लेकिन मद्दा कभी भी पुलिस के हाथ नहीं आया और हर बार फरार होता रहा। 2009-10 के पहले अभियान में भी मद्दा ने गिरफ्तार हुए बिना लम्बी फरारी काटी और अभियान ठंडा पड़ने पर हाईकोर्ट से जमानत लेकर फिर गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों की हेरा-फेरी में जुट गया। उसके बाद जब कांग्रेस सरकार में भी कमलनाथ ने अभियान चलवाया उस वक्त भी मद्दा के खिलाफ एफआईआर हुई, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी और उसने फिर जमानत हासिल कर ली।

2021 में चले अभियान में तो मद्दा के खिलाफ आधा दर्जन एफआईआर अलग-अलग थानों में पुलिस-प्रशासन, सहकारिता विभाग ने दर्ज करवाई, लेकिन मद्दा परिवार सहित फिर फरारी पर चला गया और फिर गृह विभाग के फर्जी पत्र के आधार पर हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट से जमानत हासिल कर शहर में नजर आने लगा। लेकिन पिछले दिनों गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजोरा के नाम से रासुका निरस्ती का फर्जी पत्र बनवाने का मामला जब उजागर हुआ तो फिर 8 दिसम्बर को मद्दा के खिलाफ खजराना थाने पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन इस बार भी मद्दा फरार होकर हाईकोर्ट से अपनी गिरफ्तारी पर रोक का आदेश ले आया और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं पड़ी। अब पुलिस आयुक्त के निर्देश पर पुलिस ने मद्दा पर लगाई गई गिरफ्तारी की रोक और जमानत को निरस्त करने का अनुरोध हाईकोर्ट से किया है। दूसरी तरफ मद्दा की पत्नी ने एक अलग से आवेदन पुलिस को सौंपा, जिसमें यह कहा गया कि गृह विभाग का फर्जी दस्तावेज उनके द्वारा नहीं बनाया गया, बल्कि एक रिश्तेदार ने दिया था।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *