इंदौर : भगवान की एक एक लीला के अनेक अर्थ और रहस्य होते हैं, जिन्हें समझना सामान्य मनुष्य के वश में नहीं होता। कृष्ण की बाल लीलाएं भी अनेक रहस्य लिए हुए हैं। पांच वर्ष की आयु तक बच्चों को मां के दूध के साथ ही गाय का दूध,मक्खन आदि देना चाहिए। बच्चों के लिए यह अत्यंत पौष्टिक और मानसिक विकास के लिए संतुलित आहार होता है। भगवान कृष्ण ने दूध और माखन सेवन से ही बचपन व्यतीत किया।भगवान कृष्ण के अनुसार जब तक मन से द्वैत भाव का लोप नहीं होता तब तक ईश्वर को प्राप्त करना असंभव है।ये विचार विद्वत धर्मसभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री वैद्य ने राजेंद्र नगर में चल रही मराठी भागवत कथा में सातवें दिन व्यक्त किए।
कृष्ण लीलाओं का किया सरस वर्णन।
राजेंद्र नगर श्रीराम मंदिर स्वर्ण जयंती उत्सव और अधिक मास निमित्त आयोजित मराठी भागवत कथा में रविवार को वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री वैद्य ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के साथ कंस वध, रास लीला और श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग का वर्णन किया। वेदमूर्ति ने कहा की बाल लीला में यदि तत्व ज्ञान खोजने का प्रयत्न किया जाए तो माता को समाधि अवस्था प्राप्त होती है।बाल लीला देखते हुए ईश्वर की उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों की देखभाल करना माता के जीवन का स्वर्णिम अनुभव होता है।
भगवान श्रीकृष्ण के समय खेले जाने वाले खेलों का भागवत में है उल्लेख।
शास्त्री जी ने कहा कि व्यक्ति कितना भी समृद्ध और समर्थ हो जाए लेकिन उसे अपना स्वकर्म कभी नहीं छोड़ना चाहिए।भगवान श्रीकृष्ण और उनके मित्र 9 प्रकार के खेल खेला करते थे । दुर्भाग्य से आज वो सारे खेल हमारे यहां से लुप्त हो चुके हैं । भागवत में सारे खेलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। सरकार को चाहिए कि युवाओं और बच्चों को उन खेलों के बारे में जानकारी प्रदान कर वे खेल खेलने हेतु प्रोत्साहित करें।
गोवर्धन पूजा के जरिए श्रीकृष्ण ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि कृष्ण ने गोवर्धन पूजा के माध्यम से संदेश दिया है की अपने आस- पास प्रकृति ने जो भी संसाधन उपलब्ध करवाए हैं जैसे नदी, तालाब, सरोवर, पहाड़ उन सभी का मनुष्य को पूजन और संरक्षण करना चाहिए। भगवान इस माध्यम से पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण का संदेश देते हैं । हमारा कर्ता धर्ता सब कुछ परमात्मा ही है किंतु पुरुषार्थ और प्रयत्न मनुष्य को ही करना होता है तभी उसका फल परमात्मा प्रदान करते हैं । ईश्वर सबको संधि और अवसर समान रूप से प्रदान करते हैं । व्यक्ति अपनी सामर्थ्य, योग्यता और मेहनत के अनुरूप फल प्राप्त करता है।
रविवार को भागवत कथा के द्वितीय भाग में विद्यार्थियों के लिए विशेष चर्चा सत्र रखा गया था जिसमें बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित हुए। युवाओं ने धर्म,विज्ञान और अध्यात्म से जुड़े अनेक रोचक प्रश्न विद्वान वक्ता से पूछे और अपनी जिज्ञासा को शांत किया।