25 से अधिक सुरक्षित निकाले गए।
राहत और बचाव कार्य जारी, अभी भी कई लोग मलबे में फंसे होने की आशंका।
रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील के इरशालवाडी गांव में हुआ ये हादसा।
मुंबई :भारी बारिश और बाढ़ पहाड़ी इलाकों में बड़ी परेशानी का सबब बन गई है।उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश और जम्मू – कश्मीर में भू – स्खलन की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं में जान माल का भारी नुकसान हो रहा है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के एक गांव में भूस्खलन के चलते कई घर मलबे में दब गए। बुधवार रात हुए इस हादसे में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। हालांकि लगातार बारिश होने और मिट्टी गिरने के चलते रेस्क्यू में दिक्कतें आ रही हैं। बताया जाता है कि 25 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया था।अभी भी मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका है।
बुधवार रात करीब 11 बजे यह हादसा रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील के गांव इरशालवाड़ी में हुआ। यहां पहाड़ से भूस्खलन होने से उसके नीचे बसे कई मकान मलबे में दब गए। स्थिति का जायजा लेने सीएम एकनाथ शिंदे गुरुवार सुबह घटनास्थल पर पहुंचे थे। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सीएम से बात करके राहत कार्य की जानकारी ली।
सौ से अधिक लोग रह रहें थे मलबे में दबे मकानों में।
बताया जाता है कि 103 ऐसे लोगों की पहचान की गई है, जो वहां रह रहे थे। उनमें से कुछ लोग खेतों में काम के लिए बाहर गए हुए हैं और कुछ बच्चे आवासीय स्कूलों में थे। उनकी तस्दीक की जा रही है।
राहत और बचाव में जुटी एनडीआरएफ।
रायगढ़ हादसे में राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की चार टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं। ये टीमें तमाम संसाधनों से लैस होकर स्थानीय प्रशासन के साथ बचाव कार्यों में जुटी हैं।
सूत्रों ने बताया कि गांव में करीब 50 मकान हैं, जिनमें से 17 मकान बारिश के बाद हुए भूस्खलन के चलते मलबे में दब गए हैं। अभी भी कई लोगों के भी फंसे होने की आशंका है।
बता दें कि इरशालवाड़ी गांव मोरबे बांध से छह किलोमीटर दूर है। यह बांध नवी मुंबई को पानी की आपूर्ति करता है। यह माथेरान और पनवेल के बीच इरशालगढ़ किले के पास स्थित है। इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है, जहां पक्की सड़क नहीं है।
2014 के बाद बड़ा भूस्खलन।
सूत्रों ने बताया कि जुलाई 2014 में पुणे जिले की अंबेगांव तहसील के मालिन गांव में हुए भूस्खलन के बाद यह महाराष्ट्र में सबसे बड़ा भूस्खलन है। भूस्खलन की उस घटना में 153 लोगों की मलबे में दबकर मौत हो गई थी।