महिला आरक्षण बिल को लेकर खत्म हो दुविधा

  
Last Updated:  May 17, 2023 " 12:04 am"

कोई भी दल नहीं चाहता की महिला आरक्षण बिल पारित हो।

विश्व के टॉप टेन खुशहाल और रहने लायक देश ऐसे हैं जहां विधायिका में महिलाएं ज्यादा है – देशमुख।

इंदौर : वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख का कहना है कि महिलाओं के राजनीति में आने से देश का भविष्य उज्जवल होगा । इस समय विश्व में सबसे खुशहाल और रहने लायक टॉप टेन जो देश हैं, उनकी विधायिका में महिलाएं ज्यादा हैं।महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा समझदारी से फैसले लेती हैं।

देशमुख जाल सभागृह में आयोजित अभ्यास मंडल की ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला में महिला आरक्षण और चुनौतियां विषय पर संबोधित कर रहे थे।

महिला आरक्षण बिल को लेकर खत्म हो दुविधा।

उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल जब आ जाएगा तो उसके बाद फिर कोई नई चुनौती होगी । पिछले 20 सालों से इस बिल को लाना है, नहीं लाना है, इसमें क्या संशोधन करना है, इसी बात पर बहस हो रही है । देश में स्थानीय निकाय में महिलाओं को आरक्षण मिल चुका है । अब इस बिल का रास्ता रोकने के लिए कहा जा रहा है कि स्थानीय निकाय में सरपंच महिला चुनी जाती है और काम सरपंच पति करता है । इस तरह की बहुत सारी नाकामी की कहानियां आ चुकी है लेकिन उसके बाद में जब इन पंचायतों से सफलता की कहानी आना शुरू हुई तो उसे कोई नहीं सुन रहा है । इस मामले को लेकर मन की दुविधा खत्म कर देनी चाहिए । इस बात में कोई दो राय नहीं है कि महिला आरक्षण विधेयक आना ही चाहिए ।

महिलाएं बराबरी से करती हैं मतदान।

यशवंत देशमुख ने सवाल किया कि यदि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण नहीं किया गया होता तो क्या उस वर्ग को उतना प्रतिनिधित्व मिल पाता जितना कि वर्तमान में मिल रहा है ? पिछले 10 वर्षों में महिलाएं चुनाव के मतदान में पुरुषों से बराबरी पर आ गई हैं और मेरा भरोसा है कि 2024 के चुनाव में वे पुरुषों से ज्यादा मतदान करेंगी।जब उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी ज्यादा है तो उन्हें बराबरी से चुनाव में प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया जाना चाहिए ? टीवी पर बहस में हम 90% समय जातिगत समीकरण और धर्म के ध्रुवीकरण को देते हैं।

महिलाओं के मतदान के मुद्दे अलग होते हैं।

महिलाओं के मतदान के मुद्दे अलग होते हैं । महिलाएं हमेशा उन्हें मिलने वाली सहायता, जीविका, सुरक्षा, रोजगार, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर मतदान करती हैं। हाल में हुए कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी यही स्थिति नजर आई है । उत्तर प्रदेश में महिलाओं ने बुलडोजर बाबा को वोट नहीं दिया । उन्होंने राशन और शौचालय को वोट दिया । महिलाओं के मतदान के मुद्दों को देखकर हम यह समझ सकते हैं कि समझदार मतदाता कौन है ? वर्तमान में हमारे देश में किसी भी पार्टी का एक भी नेता अपने वार्ड का चुनाव भी अपने दम पर नहीं जीत सकता है । भाजपा, पंचायत से लेकर लोकसभा तक मोदी के चेहरे को सामने रखकर जीत रही है । तो फिर महिलाएं क्यों नहीं जीत सकती..?

महिलाओं की भागीदारी वाले देश ज्यादा खुशहाल।

देशमुख ने कहा कि विश्व के टॉप टेन रहने लायक देश या टॉप टेन खुशहाल देश यदि हम देखेंगे तो उस सूची में उन देशों के नाम है जिन देशों में विधायिका में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है।

सभी दल चाहते हैं महिला आरक्षण बिल पारित न हो।

उन्होंने कहा कि जब महिला आरक्षण विधेयक पर बात होती है तो सवाल उठता है आरक्षण में आरक्षण दिया जाएं । तमाम नेता और सभी पार्टियां कई तरह की बात करते हैं । इस बातचीत में कहीं भी महिलाओं से नहीं पूछा जाता है । देश में 80% पुरुषों का भी मानना है महिलाओं को आरक्षण दिया जाना चाहिए । देश में दो तिहाई पुरुष और 80% महिलाएं चाहती है कि आरक्षण में आरक्षण ना हो तो भी महिलाओं को आरक्षण दिया जाएं । दरअसल, कोई भी दल नहीं चाहता कि महिला आरक्षण बिल पास हो इसलिए नित नए कारण बताकर इसमें रोड़े अटकाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि अब एक बार फिर से इस बिल के आने की सुगबुगाहट शुरु हो गई है।वर्तमान में जिस रूप में इस बिल को लाया जा रहा है यदि उस रूप में यह बिल आएगा तो समाज में बड़ा विस्फोट होगा और उसके लिए जिम्मेदार महिला आरक्षण को ठहराया जाएगा ।

क्या प्रावधान है आने वाले बिल में ?

उन्होंने कहा कि अब तक जो जानकारियां सामने आई है । उसके अनुसार अब जो महिला आरक्षण का विधेयक लाया जा रहा है । उसमें यह प्रावधान किया जा रहा है कि एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रखी जाएं लेकिन इन सीटों को हर चुनाव के बाद रोटेशन में बदल दिया जाएं । यह अपने आप में बहुत ही खतरनाक प्रावधान सामने लाया जा रहा है । इस समय सबसे बड़ी हकीकत यह है कि हाल में हुए कर्नाटक के चुनाव में भी भाजपा के 60% और कांग्रेस के 40% विधायक चुनाव हार गए हैं क्योंकि उन्होंने चुनाव जीतने के बाद काम नहीं किया । वह यह मानकर चलते हैं कि जब चुनाव आएंगे तब लहर आएगी और वे जीत जाएंगे । जब आधे विधायक वैसे ही काम करने के लिए तैयार नहीं हैं तब यदि रोटेशन से महिला आरक्षण को लागू किया जाएगा तो बचे हुए विधायक भी काम करना बंद कर देंगे ।

क्या है इस समस्या का समाधान ?

अपने संबोधन के दौरान इस समस्या को सामने रखने के साथ ही देशमुख ने उसका समाधान भी बताया । उन्होंने कहा कि लोकसभा में 280 सीटें नई बढ़ा दी जाना चाहिए इन सीटों पर कोई चुनाव नहीं होना चाहिए । सभी दलों से 280 सीटों के हिसाब से प्राथमिकता के क्रम में उनके प्रत्याशियों के नाम ले लेना चाहिए । फिर जिस दल को जितने प्रतिशत मत मिले उसके अनुपात में उस दल की सूची से ऊपर के उतने सदस्यों के नाम लेकर उन्हें लोकसभा सदस्य बना दिया जाना चाहिए । यह एक ऐसा तरीका है जिससे सारी समस्या का समाधान हो सकता है । जो राजनैतिक दल पिछड़ी महिला के नाम पर हल्ला मचा रहे हैं वह लोग अपनी सूची में उस वर्ग की महिलाओं के नामों को प्राथमिकता देकर उस वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व दिला सकते हैं ।

प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत मंजू व्यास, संजय गोदरा, कीर्ति राणा, अमन अक्षर, वंदना जोशी, मनीषा गौर व रचना जोहरी ने किया । शुरुआत में सभी अतिथियों द्वारा वरिष्ठ पत्रकार डॉ वेद प्रताप वैदिक के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।

कार्यक्रम को विष्णु गोयल ने भी संबोधित किया। संचालन वैशाली खरे ने किया। अतिथि यशवंत देशमुख को स्मृति चिन्ह पद्मश्री भालू मोंढे ने भेंट किया। अंत में आभार अशोक जायसवाल ने माना।

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