भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मानव दुर्व्यापार को रोकने के लिए सरकारी अमले के साथ सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता भी आवश्यक है। अनेक आपराधिक तत्व इस संगठित अपराध में लिप्त रहते हैं। ऐसे तत्वों की धरपकड़ के साथ नागरिकों को भी इस दिशा में सजग और सतर्क बनाने के लिए प्रभावी तरीके से अभियान संचालित किया जाए। बेटियों को छेड़छाड़ और अन्य गंभीर घटनाओं से बचा कर उनकी समुचित सुरक्षा सुनिश्चित करने, बच्चों को नशे से बचाने और बंधक श्रमिक व्यापार और कुप्रथा रोकने के लिए अभियान पूरी ताकत से चलाया जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान मंगलवार को अपने निवास स्थित कार्यालय पर गृह सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में बोल रहे थे। बैठक मानव दुर्व्यापार निषेध जागरूकता सप्ताह के संबंध में विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी। बैठक के निर्णय अनुसार प्रदेश आगामी माह में वृहद स्तर पर मानव दुर्व्यापार (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) निषेध संबंधी जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। अभियान की तिथियों का निर्धारण शीघ्र किया जाएगा। गृह, जेल एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना सहित वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
अभियान से जन-प्रतिनिधियों और आमजन को जोड़ें।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मानव दुर्व्यापार निषेध जन-जागरूकता अभियान का स्वरूप जन प्रतिनिधियों की भूमिका के निर्धारण के साथ तय किया जाए। मानव दुर्व्यापार निषेध के जन-जागरूकता अभियान की सार्थकता तभी होगी जब इससे आमजन को भी जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों और बेटियों के पक्ष में विभिन्न कानूनी प्रावधान किए गए हैं, इसके बावजूद देखा जाता है कि बेटियों के विरूद्ध छेड़छाड़ से लेकर अपहरण की घटनाएँ घटित होती हैं। इसके अलावा छोटे बच्चों को नशे की लत लगाना, उनसे भिक्षावृत्ति करवाना या श्रमिकों को बंधक बनाकर उनका शारीरिक, आर्थिक शोषण न सिर्फ भारत बल्कि विश्व के लिए भी चिंता का विषय बने हुए हैं।
मध्यप्रदेश में हुई हैं बेस्ट प्रेक्टिसेस।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इंदौर में आश्रय स्थल की व्यवस्था कर पीड़ित बच्चों और महिलाओं के लिए जन-सहयोग से अच्छा कार्य हुआ है। प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी बेटियों की सुरक्षा और उनके सम्मान के लिए संगठन कार्य कर रहे हैं। जागरूकता अभियान के दौरान इस क्षेत्र में कार्य करने वाले व्यक्तियों के अनुभव सामान्य जन तक पहुँचाने का कार्य किया जाए। पुनर्वास के प्रभावों से महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने के भी कई उदाहरण हैं। इस क्षेत्र में कार्यरत समाज-सेवियों को भी प्रोत्साहित किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र संघ की भी है प्राथमिकता।
बैठक में जानकारी दी गई कि विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष 30 जुलाई को विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस मनाया जाता है। मानव तस्करी की कुप्रथा की समाप्ति के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने मानव तस्करी को परिभाषित करते हुए किसी व्यक्ति को डरा कर, बल प्रयोग द्वारा दोषपूर्ण तरीके से परिवहन करने या शरण में रखने की गतिविधि को तस्करी की श्रेणी में रखा है। मध्यप्रदेश के गृह विभाग ने मानव दुर्व्यापार निषेध के लिए जन जागरूकता सप्ताह के अगस्त माह में संचालन के लिए प्रारंभिक रूप रेखा तैयार की है। इसमें लघु फिल्म निर्माण, पोस्टर निर्माण, दीवार लेखन, गोष्ठियों के आयोजन और सोशल मीडिया से आमजन को बाल श्रम, बंधक श्रमिक कुप्रथा और महिलाओं के विरूद्ध अपराधों को नियंत्रित करने के बारे में जागरूक किया जाएगा। महिला-बाल विकास और जनसम्पर्क विभाग द्वारा अभियान में विशेष सहयोग प्रदान किया जाएगा।