मूलभूत सुविधाओं को लेकर जानी गांव की हकीकत।
सर्वे के आधार पर तैयार करेंगे विस्तृत रिपोर्ट।
इंदौर आईआईपीएस के मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स ने एक वन गांव की यात्रा कर सर्वे किया। सर्वे के दौरान सामने कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। गांव में आज भी पीने का पानी कुएं से ही लिया जाता है। खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। गांव में एक ही तालाब है जिसका पानी बरसात के बाद 2 से 3 महीने में सूख जाता है । कई बार किसान खेती की मूल लागत तक वसूल नहीं कर पाते। खेत का पट्टा नहीं होने के कारण सरकारी सहायता भी प्राप्त नहीं हो पाती। गांव में प्रारंभिक चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधा का भी अभाव है। यह स्थिति महेश्वर तहसील, जिला खरगोन (पश्चिम निमाड़) के करही पंचायत के असाखों गांव की है। आईआईपीएस डीएवीवी के मैनेजमेंट के विद्यार्थियों ने जब यहां पहुंचकर सर्वे किया तो उपरोक्त हकीकत सामने आई।
संस्थान के फाइनेंस एवम रिसर्च मेथोडोलॉजी के प्राध्यापक और सर्वे के संयोजक डॉ. कपिल जैन ने बताया कि इस वन गांव यात्रा में उन्होंने मुख्य रूप से रिसर्च मेथाडोलॉजी एवं टूरिज्म के विद्यार्थियों को प्राथमिकता दी जिससे उन्हें क्लासरूम से प्राप्त नॉलेज को वास्तविकता में उपयोग करने का अवसर प्राप्त हो सके । वे बताते हैं कि संस्थान की एनएसएस यूनिट के कार्यक्रम अधिकारी के रूप में उन्होंने विगत एक दशक में अनेक गांवों में रहवासी शिविर लगाए हैं,जिसमें सर्वे और जागरूकता संबंधी कार्य किए जाते रहे हैं। इस वन गांव यात्रा के दौरान शिक्षा, चिकित्सा, स्वच्छता, सरकारी योजनाएं, नागरिकों के मूलभूत अधिकार एवं वोटिंग अवेयरनेस इत्यादि से संबंधित एक प्रश्नावली का निर्माण उचित डाटा मेजरमेंट स्केल का प्रयोग करते हुए विद्यार्थियों द्वारा सर्वे किया गया।
स्मार्ट विलेज कॉम्पिटिशन के अंतर्गत यह वन गांव यात्रा फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसाइटी, एकल युवा एवं इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई थी । इस दौरान एकल युवा की वर्तमान अध्यक्ष डॉ. सरिता मूंदड़ा एवं पूर्व अध्यक्ष डॉ. रासु जैन द्वारा विद्यार्थियों को एकल अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस कॉम्पिटिशन में सर्वे, विचारोपरांत आइडिया डेवलपमेंट, स्ट्रैटेजिक प्लानिंग एवं उसका वास्तविक रूप में प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन इत्यादि चरण शामिल हैं। सर्वे के पूर्व विधार्थी आंगनवाड़ी के बच्चों से मिले । छोटे छोटे बच्चों ने बड़े ही उत्साह से वैदिक मंत्रोच्चार के बाद गिनती, पहाड़े और कविताएं सुनाई। सर्वे के दौरान गांव की महिलाओं से संपर्क करने पर यह भी पता चला कि उन्हें पर्याप्त सेनेटरी पैड भी उपलब्ध नहीं होते हैं। अत्यधिक रक्त स्राव, अनियमित पीरियड और इन्फेक्शन होने के कारण कई महिलाओं को 2 से 3 बार मेंस्ट्रेशन ऑपरेशन भी करवाना पड़ा है । डिलीवरी के लिए कई किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल में जाने के दौरान अनेक बार रास्ते में ही डिलीवरी हो जाती है। गांव में कुछ वर्षों पूर्व तक लगभग 12 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचा जाता था । संस्थान की प्रभारी निदेशक प्रो. यामिनी कर्माकर ने बताया कि सर्वे से प्राप्त डाटा के आधार पर विद्यार्थियों द्वारा डॉ. जैन के मार्गदर्शन में एक डिस्क्रिप्टिव रिसर्च रिपोर्ट तैयार की जाएगी । साथ ही समस्याओं के स्ट्रैटेजिक सॉल्यूशन और उनके वास्तविक रूप में प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हेतु सुझाव भी दिए जायेंगे।