कड़कड़ाती ठंड पर प्रभु की आस्था भारी।
अलसुबह कड़कड़ाती ठंड और कोहरे में निकली भगवान वैकुंठनाथ की सवारी।
भक्तों ने अतिशबाजी कर किया प्रभु का स्वागत।
यजमान मालू परिवार के साथ 500 भक्त बजरंग नगर से पैदल यात्रा कर गाजे- बाजे के साथ नाचते गाते पहुंचे देवस्थान।
दक्षिण से आए इन्दोर में रह रहे भक्तो ने दक्षिण वेशभूषा पहनकर उत्सव में हुए शामिल।
राजस्थान और पूरे देश भर से भक्तो का आगमन हुआ।
इंदौर : पावन सिद्ध धाम श्री लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में शनिवार 23 दिसंबर को वैकुंठ एकादशी पर दिव्य उत्सव मनाया गया। प्रातः काल की प्रथम बेला में सुबह 5.30 बजे प्रभु वेंकटेश गरुड़ वाहन पर सवार होकर हजारो भक्तों के साथ वेंकटरमण गोविंदा, श्री निवासा गोविंदा की धुन के साथ परिक्रमा में निकलें। श्री वेणुगोपाल संस्कृत पाठ्शाला के विद्यार्थी स्तोत्र पाठ गुरु परम्परा,वेंकटेश स्तोत्र का पाठ कर रहे थे। वेंकटश महिला मंडल द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जा रही थी। शास्त्रोक्त पद्धति द्वारा विधि विधान से वैकुण्ठ द्वार का पूजन यजमान मालू परिवार द्वारा किया गया। नागोरिया पीठाधिपति स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने दिव्य वैकुण्ठ द्वार खोले और सभी भक्तों को साथ ले प्रभु ने अंदर प्रवेंश किया। द्वार के अंदर की ओर से श्री रामानुज स्वामी के श्री विग्रह को पुजारी ने सामने लेकर ठाकुर जी की अगवानी की।
प्रभु के अंदर पधारते ही गर्भ गृह के पट खोले गए। भक्तों द्वारा गोविंदा गोविंदा का जयघोष होने लगा घंटे घड़ियाल गूंजने लगे, चंदन और धूप के गुबार में प्रभु ने वैकुंठनाथ स्वरूप में दर्शन दिए।
साथ ही प्रभु रंगनाथ की जय बोलते हुए साधू लक्षमन बाला की महाआरती हुई।
श्री वेणुगोपाल संस्कृत पाठशाला के विद्यार्थियों द्वारा श्री सूक्त, पुरुष सूक्त,आलवन्दार स्तोत्र,गुरु परंपरा, वेंकटश स्तोत्र व दक्षिण भाषा के पाठ किए गए।
ॐ केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः के साथ ही 1008 नामों के स्वर्ण पुष्पों से प्रभु वैकुंठनाथ की अर्चना की गयी।
वेंकुंठ द्वार पर मध्य में क्षीरसागर में श्री नारायण के चरण दबाते माता लक्ष्मी सुभोषित की गई।इसी के साथ जय,विजय,ऐरावत,सुरभि गौमाता ,के साथ पूर्व आचार्यो के सुंदर चित्र, प्रभु की लीलाओं के सुंदर दर्शन हुए। स्वर्ण खंभों से पूरे द्वार को स्वर्ण द्वार बनाया गया।पुष्पों के वंदनवार से देवस्थान को सजाया गया।ठंड से बचाव के लिए देवस्थान में बड़े हीटर भी लगाए गए थे।
स्वामी श्री विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने बताया कि हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जो मनुष्य भगवत गीता का पाठ करता है और उसकी शिक्षा दूसरों को देता है उसके लिए वैकुण्ड के द्वार खुल जाते हैं। जब कोई व्यक्ति ज्ञान, भक्ति और कर्म योग में लीन हो जाता है तो उसके लिए वैकुंठ के द्वार अपने आप खुल जाते हैं।
बजरंग नगर से मालू परिवार के सदस्य कड़ाके की ठंड के बावजूद 500 भक्तों को लेकर पैदल नाचते- गाते गोविन्दा – गोविंदा का जयघोष करते हुए पहुंचे, जिसमें महिलाओं व बच्चों ने भी बढ़चढ कर हिसा लिया। हर भक्त सिर्फ गोविंद गोविंदा की मस्ती पर झूम रहा था।
समापन अवसर पर सभी भक्तों को केशरिया दूध ,फ़रियाली खिचड़ी,ओर मोरधन खीरान का प्रसाद वितरण किया गया।
प्रचार प्रमुख पंकज तोतला ने बताया इस अवसर पर राजेंद्र सोनी,महेंद्र पलोड़, रमेश चितलांगया,अशोक डागा,पवन व्यास,शरद चिचानी, सुशील राठी,अंकित सोनी,पंकज सोमानी ऋषि शर्मा नंदा काका सहित अनेक गणमान्य जन मौजूद रहे।