इंदौर : मां अहिल्या की नगरी इंदौर में दो साल बाद रंगपंचमी की वही रौनक दिखाई दी, जिसके लिए यह शहर जाना जाता है। कोरोना संक्रमण के कारण बीते दो वर्षों में रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर नहीं निकल पाई थी, पर इस बार कोरोना का प्रकोप कम हुआ और उत्सवप्रिय इंदौर शहर के लोगों ने रंगों की धमाल मचाकर इतिहास रच दिया। शहर की उत्सवधर्मिता का प्रमुख केंद्र राजवाड़ा चौक, रंगपर्व की सतरंगी छटा का अद्भुत नजारा पेश कर रहा था। गेर व फाग यात्रा में लाखों लोगों ने शामिल होकर रंगों की बौछार में भीगने, रंगने और डीजे की धुन पर थिरकने का लुत्फ उठाया। रंगों की बिखरी छटा के साथ उत्साह, उमंग और उल्लास का ऐसा सामूहिक नजारा देश में कहीं और नजर नहीं आता।
रंगों में डूबने उमड़ा जनसैलाब।
इस बार कोरोना से मिली राहत के बाद सभी को रंगपंचमी का बेसब्री से इंतजार था। इंदौर में वैसे भी होली के दूसरे दिन से ज्यादा रँगपंचमी पर रंगों की धमाल ज्यादा होती है। उसका कारण है, यहां निकलने वाली रंगारंग गेर, जिनमें शहरभर के लोगों की भागीदारी होती है। त्योहारों के सामूहिक उल्लासमय प्रकटीकरण में भी इंदौर सबसे आगे है। मंगलवार को रंगपंचमी पर यही नजारा शहर के पश्चिम- मध्य क्षेत्र में दिखाई दिया। तीन गेर व एक फाग यात्रा ने मिलकर रंगपर्व का ऐसा उल्लसित नजारा पेश किया जो लंबे समय तक याद रहेगा। मल्हारगंज क्षेत्र से मारल क्लब, संगम कॉर्नर और रसिया क्लब की गेर निकली तो पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ द्वारा बरसों पूर्व शुरू की गई राधाकृष्ण फाग यात्रा नृसिंह बाजार से निकाली गई। एक- दूसरे के आगे- पीछे चल पड़ी गेर व फाग यात्रा जब राजवाड़ा चौक पहुंची तो चारों तरफ सिर्फ रंगारंग दृश्य ही दिखाई दे रहा था। लाखों की इस भीड़ में कोई भी रंगों की मार से अछूता नहीं रह। टैंकर, रनगाड़े और मिसाइलों से रंगों की बौछार की जा रही थी। बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं सभी डीजे, ढोलक और बैंड- बाजे की धुनों पर जमकर ठुमके लगा रहे थे।रंगों का यह पर्व लोगों की जिंदगी में भी उल्लास के रंग बिखेर रहा था। अपने- पराए का भेद भूलकर समूचा जनसमुदाय रंगों की खुमारी में डूबा रहा। जमीं से आसमान तक रगों की ऐसी छटा बिखरी हुई थी मानों कायनात ने भी सारे रंग इंदौर की धरा पर बिखेर दिए हों।
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर और लठमार होली रही आकर्षण का केंद्र।
हिन्द रक्षक संगठन के बैनर तले विधायक मालिनी गौड़ व उनके सुपुत्र एकलव्य गौड़ की अगुवाई में निकली फाग यात्रा रंगपर्व के उल्लास के साथ आस्था व उल्लास का मनोहारी नजारा पेश कर रही थी। मातृशक्ति की सबसे अधिक भागीदारी इस फाग यात्रा में ही नजर आई। सैकड़ों वालेंटियर्स फाग यात्रा के इंतजाम के साथ मातृशक्ति की हिफाजत में भी जुटे हुए थे। वृंदावन के बांके- बिहारी मंदिर की प्रतिकृति, भजन गाती मंडलियां और उनपर नृत्य करती मातृशक्ति अलौकिक मंजर पेश कर रही थी। सूखे रंगों के साथ टेसू के फूलों से निर्मित रंग की बौछार तमाम लोगों पर की जा रही थी। उधर कमलेश कमलेश खंडेलवाल के नेतृत्व में निकली गेर में वृंदावन की लठमार होली आकर्षण का केंद्र रही। इसी के साथ आदिवासियों की टोली भी झूमते, नाचते गाते चल रही थी।
रंगों के के जरिए अपनी एकजुटता और उत्सवप्रियता को अभिव्यक्त करने का यह इंदौरी जुनून दोपहर बाद तक चलता रहा।