इंदौर: संस्था रंग ए महफ़िल ने रविवार शाम डीएवीवी सभागार में लीक से हटकर दो अजीम गायकों के सदाबहार गीतों की महफ़िल सजाई। येशुदास और सुरेश वाडकर के नगमों से सुरभित इस कार्यक्रम को नाम दिया गया था ‘जब दीप जले आना’।
कार्यक्रम के मुख्य स्वर थे मुंबई के समीर विजय कुमार और पुणे के धवल चाँदवडकर। समीर के कंठ निकल रहे येशुदास के सुरीले गीत श्रोताओं के कानों में रस घोल रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे येशुदास खुद समीर के जरिये गीतों का नजराना श्रोताओं को पेश कर रहे हैं।
धवल ने सुरेश वाडकर को तो जिया ही, अपनी गायकी के जुदा अंदाज से भी सुनकारों को परिचित कराया। दोनों धुरंधरों के बीच मुम्बई की प्राजक्ता सातरडेकर ने भी अपनी सुरीली आवाज का लोहा मनवाया। इंदौर के स्वरांश पाठक, शिफा अंसारी और रूपक बुंदेला के गाए गीत कार्यक्रम को चार चांद लगा गए। येशुदास के जब दीप जले आना, चाँद जैसे मुखड़े, मधुवन खुशबू देता है, गौरी तेरा गांव बड़ा प्यारा और दिल के टुकड़े- टुकड़े करके जैसे गीतों ने श्रोताओं की खूब दाद बटोरी। सुरेश वाडकर के सीने में जलन, सांझ ढले गगन तले, ऐ जिंदगी गले लगा ले, और इस दिल मे, लगी आज सावन की फिर वो झड़ी और तुमसे मिल के आदि गीत सुनकारों के कानों को तृप्त करते हुए सीधे उनके दिल में उतर गए। संगीत संयोजन अभिजीत गौड़ व सारंग लासुरकर का था।
प्रधान आयकर आयुक्त शैली जिंदल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के बतौर मौजूद रहे। आयोजकों की ओर से महेश- ममता अग्रवाल, पारस- वर्षा डोसी और मुकेश बुंदेला ने अतिथियों का स्वागत किया। स्मृति चिन्ह शैलेन्द्र व्यास, दिनेश गोयल और नीलेश मोदी ने भेंट किये।कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया। आभार राजेश अग्रवाल ने माना।
रंग ए महफ़िल के मंच पर गूंजे येशुदास और सुरेश वाडकर के गीत
Last Updated: February 3, 2020 " 03:32 pm"
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