राष्ट्रपति का देश के नाम संबोधन- हिंसा मुक्त समाज देश की सबसे बड़ी ताकत है

  
Last Updated:  July 26, 2017 " 09:03 am"

नई दिल्ली।राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की आत्मा, बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है और भारत केवल एक भौगोलिक सत्ता नहीं है बल्कि इसमें विचारों, दर्शन, बौद्धिकता, औद्योगिक प्रतिभा, शिल्प तथा अनुभव का इतिहास शामिल है।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने पद मुक्त होने की पूर्व संध्या पर आज देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि भारत की आत्मा, बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है और समानुभूति की क्षमता हमारी सभ्यता की सच्ची नींव रही है लेकिन प्रतिदिन हम अपने आसपास बढ़ती हुई हिंसा देखते हैं।इस हिंसा की जड़ में अज्ञानता, भय और अविश्वास है। उन्होंने परोक्ष रूप से देश और दुनिया में बढ़ती हिंसा के संदर्भ में के हमें अपने जन सवांद को शारीरिक और मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा।

हमारे समाज के बहुलवाद के निमार्ण के पीछे सदियों से विचारों को आत्मसात करने की प्रवत्ति को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृति, पंथ और भाषा की विविधता ही भारत को विशेष बनाती है।उन्होंने कहा, हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है।यह सदियों से हमारी सामूहिक चेतना का अंग रही है। जन संवाद के विभिन्न पहलू हैं। हम तर्क वितर्क कर सकते हैं, हम सहमत हो सकते हैं या हम सहमत नहीं हो सकते हैं। परंतु हम विविध विचारों की आवश्यक मौजूदगी को नहीं नकार सकते। अन्यथा हमारी विचार प्रक्रिया का मूल स्वरूप नष्ट हो जाएगा।

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