जुलाई में राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपने मनचाहे उम्मीदवार को जिताने के लिए भाजपा को यूपी में कम से कम १५० सीटें चाहिए थीं। लेकिन चुनाव नतीजों में उसे ३०० से ज्यादा सीटें मिल रही हैं। भाजपा यूपी में ३०० सीटें जीतती है तो उसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए ६२४०० वोट मिलेंगे। इस तरह से अब वह अपने दम पर राष्ट्रपति चुन सकती है। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल जुलाई में पूरा हो रहा है। राष्ट्रपति इलेक्टोरल कॉलेज में भाजपा के पास अभी ३.८० लाख वोट हैं। अपने पसंदीदा उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए भाजपा को ५.४९ लाख वोट चाहिए होंगे। इसका मतलब हुआ कि उसके पास जरूरत से १.७ लाख वोट कम हैं। अगर केंद्र और राज्यों में भाजपा के साझीदारों को वोट करीब एक लाख हैं। ऐसे में पार्टी को ७० हजार और वोटों की जरूरत पड़ेगी।
इस स्थिति में उत्तर प्रदेश चुनाव का परिणाम भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। यूपी में कुल ४०३ विधान सभा सीटें हैं जिनका राष्ट्रपति के इलेक्टोरल कॉलेज में कुल वोट ८३,८२४ होता है। उत्तराखंड में भी भाजपा की ताकत बढ़ गई और पिछले बार की तुलना में उसके विधायक दोगुने होने जा रहे हैं। मणिपुर में भी भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में हैं। इस तरह से पंजाब में मिली हार की भरपाई वह मणिपुर से आसानी से कर लेगी। गोवा में उसे झटका लगा है लेकिन फिर भी उसे १०-१२ सीटें मिल रही है।
राष्ट्रपति का चुनाव लोक सभा, राज्य सभा और सभी राज्यों के सभी सदनों (विधान सभा और विधान परिषद) के के संयुक्त वोटों द्वारा होता है। संसद या राज्य की विधान सभा में नामित सदस्यों का वोट राष्ट्रपति चुनाव में मान्य नहीं होता। राष्ट्रपति चुनाव में हर वोट का मूल्य १९७१ की जनगणना के आधार पर किया जाता है। इसलिए राष्ट्रपति चुनाव में हर राज्य के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। देश के सर्वाधिक आबादी वाला राज्य होने के नाते यूपी के विधायकों के वोट का मूल्य सर्वाधिक (२०८) है। वहीं सिक्किम के विधायकों के वोट का मूल्य सबसे कम (७) है।
देश के पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनाव के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के खेमे में काफी उल्लास है। वह देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल करने जा रही है। उत्तराखंड में भी उसने कांग्रेस को सत्ता से हटाने की तैयारी कर ली है। साथ ही मणिपुर और गोवा में वह कड़े मुकाबले में है और उसकी स्थिति मजबूत है। हालांकि पंजाब में अकाली दल के साथ उसके गठबंधन को हार झेलनी पड़ रही है। लेकिन भाजपा के लिए अच्छी बात यह है कि यहां पर वह वैसे भी छोटी साझेदार है। इन नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के लिए राष्ट्रपति चुनावों की राह भी आसान कर दी है।