इंदौर : पति- पत्नी के बीच झूमाझटकी और मारपीट के मामले को सुलझाने के एवज में रिश्वत की मांग करने वाले हेड कॉन्स्टेबल को दोषी करार देते हुए विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त यतीन्द्र कुमार गुरु की अदालत ने 4 वर्ष के सश्रम कारावास और 2 हजार रुपए के अर्थदंड से दण्डित किया।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी मो. अकरम शेख ने बताया कि 20 मई 2016 की आवेदक ने एसपी लोकायुक्त कार्यालय में लिखित शिकायत पेश की थी कि पत्नी के साथ घरेलू विवाद में झूमाझटकी के दौरान उसके(पत्नी) हाथ में चोट लग गई थी। इसकी रिपोर्ट पत्नी ने थाना सेंट्रल कोतवाली में की थी। मामले की जांच थाने में पदस्थ हेड कॉन्स्टेबल मो. अजीज गौरी द्वारा की जा रही थी। 19 मई 2016 को हेड कॉन्स्टेबल गौरी ने आवेदक के घर पहुंचकर मामले को निपटाने के एवज में रुपयों की मांग की। 2500 में मामला निपटाने की बात तय हुई । 500 रुपए बतौर एडवांस आवेदक ने हेड कॉन्स्टेबल गौरी को दे दिए। लिखित आवेदन मिलने पर रिश्वत की मांग की बातचीत को टेप किया गया। बाद में योजनाबद्ध ढंग से हेड कॉन्स्टेबल मो. अजीज गौरी को 1500 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। लोकायुक्त पुलिस ने तमाम सबूतों के साथ अभियोग पत्र विशेष न्यायाधीश लोकायुक्त की अदालत में पेश किया। सुनवाई के बाद अदालत ने हेड कॉन्स्टेबल मो.अजीज गौरी को रिश्वत लेने का दोषी पाया और सजा व अर्थदंड से दण्डित किया। मामले में पैरवी विशेष लोक अभियोजक जीपी घाटिया ने की।
रिश्वत खाने के आरोपी हेड कॉन्स्टेबल को 4 वर्ष की सजा
Last Updated: January 31, 2020 " 03:33 pm"
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