इंदौर : लता मंगेशकर का इंदौर से विशेष लगाव था। इस वजह से इंदौर से कोई भी जाता तो वे उससे इंदौर के बारे में जानकारी लेती रहतीं। 1983 में अपने साथ हुई एक घटना के बाद उन्होंने इंदौर में कार्यक्रम देने से तौबा कर ली लेकिन इंदौर से उनका स्नेह कभी कम नहीं हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उनके नाम पर राष्ट्रीय स्तर का लता अलंकरण पुरस्कार घोषित किया था। 1984 से लता अलंकरण समारोह के आयोजन की विधिवत शुरुआत हुई जो आज भी जारी है।
इंदौर में अपनी पहली प्रस्तुति उन्होंने अखिल भारतीय कृषि एवं उद्योग प्रदर्शनी में दी थी। पिता दीनानाथ मंगेशकर की पुण्यतिथि पर दी गई इस प्रस्तुति में भाई हृदयनाथ और बहन उषा मंगेशकर ने भी उनका साथ निभाया था। उसमें डेढ़ से 25 रुपए तक टिकट रखा गया था।
अभय प्रशाल के निर्माण में मदद के लिए दिया था कार्यक्रम।
रेसकोर्स रोड स्थित खेल प्रशाल (अब अभय प्रशाल) के निर्माण में वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए 1983 में लताजी की संगीत निशा का आयोजन किया गया था। उन्हें आरएनटी मार्ग स्थित श्रीमाया होटल में ठहराया गया था। यह कार्यक्रम नईदुनिया के कर्ताधर्ताओं द्वारा रखा गया था, इस कार्यक्रम को लेकर एक अन्य समाचार पत्र के मालिक और कांग्रेस के नेता को आपत्ति थी। इसके चलते उन्होंने होटल के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर दिया। शायद इसी का नतीजा था कि लताजी दुबारा इंदौर में कोई कार्यक्रम देने नहीं आई। हालांकि भैय्यू महाराज से मुलाकात करने वे एक बार अवश्य आई थीं। उससमय भी प्रेस वार्ता के दौरान हुई धक्का- मुक्की से वे काफी आहत हुई थी। वह उनकी आखरी इंदौर यात्रा रही।
लता अलंकरण पुरस्कार स्थापित करने वाला मप्र पहला राज्य।
1983 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने लताजी के नाम पर राष्ट्रीय स्तर पर सुगम संगीत के क्षेत्र में लता अलंकरण पुरस्कार का ऐलान किया था। 1984 से यह अलंकरण समारोह प्रतिवर्ष होने लगा जो आज भी जारी है। कई दिग्गज कलाकार और संगीतकार अबतक इस पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। कोरोना के कारण 2020 और 2021 में जरूर यह समारोह आयोजित नहीं हो पाया। मप्र पहला प्रदेश है जिसने लताजी के जीते जी 38 वर्ष पहले उनके नाम पर पुरस्कार देने का सिलसिला शुरू कर दिया था।