इंदौर : ( संजीव गवते ) संस्था स्वरदा और लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफ़ोन रेकार्ड संग्रहालय हर साल लता मंगेशकर का जन्मदिन मनाते हैं | इस साल भी ये कार्यक्रम ‘रात भी है कुछ भीगी भीगी’ शीर्षक से राजेन्द्र माथुर सभागृह प्रेस क्लब इंदौर में मनाया गया | रिमझिम फुहारों के बीच लोग उनके जन्मस्थान सिख मोहल्ले के उस घर को भी देखने गए जो यहाँ से करीब था | हाल वक़्त पर पूरा भर गया एक्स्ट्रा कुर्सियां लगवाने के बाद भी लोग फर्श और मंच पर बैठ गए | मेहमानों के थोड़े इंतज़ार के बाद महफ़िल शुरू हुई | प्रोग्राम की ख़ासियत फ़िल्म क्रिटिक अजातशत्रु की मौजूदगी थी। गानों का चयन भी उनकी राय से ही किया गया था | इस मौके पर मुंबई से ख़ास तौर तशरीफ़ लाये ग़ुलाम कुरेशी जिन्होंने न सिर्फ लताजी पर शोध किया है बल्कि उनके चैनल पर लता जी को लेकर काफी काम देखा जाता है || संगीत पर कई किताबें लिखने वाले १९९० बैच के आईएएस पंकज राग भी अपनी किताब धुनों की यात्रा संग मौजूद थे | मशहूर हार्मोनियम और मेंडोलिन वादक विजय गावड़े और संस्था के सचिव सुमन चौरसिया ने मेहमानों का स्वागत किया | इंदौर में अपनी सुरीली आवाज़ से लताजी को निभा रही सपना केकरे ने महफ़िल की शुरुआत लता जी की यादगार मैलोडी ‘कभी आप हंसें कभी नैन’ से शुरुआत कर की। एक के बाद बेहद कम सुने लेकिन शायरी और मौसिकी से सजे गीतों से महफ़िल अपनी रफ़्तार से बढ़ती रही। ‘रखा है उन्होंने ये राजे मोहब्बत ,निकला सैय्या चालबाज़ रे’ ‘धीरे चलो मोरे सैय्याँ दिल तुझको दिया था’ जैसे गीतों के अलावा फिल्म पाकीज़ा के लिए तैयार लेकिन फिल्म में न रखे गए गीत ‘पी के चले निगहे यार से पी के चले’ को जब पेश किया गया तो लोग इस अनसुने बेहद खुबसूरत गीत को सुनकर काफी मुतास्स्सिर हुए। लता जी के दोगाने पर साथ देने तालीमयाफ्ता बेहद कामयाब पेशे से इंजीनियर राजेंद्र गलगले ने युगल गीत बेहतरीन तरीके से निभाये जिनमें ख़ास तौर पर ‘मेरा अकेला जिया कैसा लागे रे पिया’ हेमंत कुमार ‘चले कहाँ मेरे दिल का करार’ और ‘चाँद को देखो जी’ में मोहम्मद रफ़ी ,’चंद्रमा जा उनसे कह दे’ में महेंद्र कपूर को ख़ूबसूरती से निभाया। फिल्म समीक्षक ब्लॉगर डा. जावेद खान ने अशआर फ़िल्मी मालूमात और कहीं कहीं छोटे छोटे गाने में साथ देकर महफ़िल को यादगार बना दिया। विजय गावडे ने भी हार्मोनियाम पर गीत प्रस्तुत किये | रवि साल्के के संगीत संयोजन में श्रेयांश की बोर्ड रवि खेड़े ढोलक अनूप कुल्पारे आक्टोपैड और अंश गजभिये ने तबले पर बेहतरीन संगत की। महफ़िल में अजात शत्रु ने कई गीतों का इतिहास शायरी और गायकी पर बातें की | इस मौके पर प्रोफ़ेसर महावीर जैन ,रेयर सांग लिसनर क्लब के छापरवाल जी, सराफा एसोसिएशन के श्री शास्त्री के अलावा बड़ी संख्या सुनकारों की शिरकत में लता जी का जन्मदिवस मनाया गया |इस कामयाब महफ़िल में लता जी के भेजे आडियो सन्देश को भी सुनाया गया |
लताजी को समर्पित ‘रात भी है कुछ भीगी- भीगी’
Last Updated: September 29, 2019 " 08:18 am"
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