अंतिम दिन राम स्तुति, मधुराष्टकम् , सिद्धि धमाल, राठवा ढोल, कुनीथा नृत्य प्रस्तुतियां दी गई।
शिल्प मेला 1 जनवरी को भी सुबह 12:00 बजे से शाम तक रहेगा।
इंदौर : मालवा उत्सव के अंतर्गत आयोजित लोकोत्सव की सांस्कृतिक संध्या का शनिवार को समापन हो गया। इस अवसर पर मंडलेश्वर से आए कलाकारों ने राम,लक्ष्मण, हनुमान सहित माता सीता के स्वयंवर का सुंदर चित्रण अपने नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। अवध में राम के आगमन एवं राम स्तुति पेश कर उन्होंने दर्शकों का मन मोहा। गणेश वंदना एवं श्रीकृष्ण मधुराष्टकम् द्वारा इंदौर की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना रागिनी मक्खर द्वारा प्रस्तुत कत्थक ने भी दर्शकों की दाद बटोरी।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि अफ्रीकन आदिवासी समूह जो केन्या से 750 साल पहले भारत में आकर गुजरात में बस गए थे, ऐसे भरूच जिले से आए आदिवासी कलाकारों द्वारा बहुत ही खूबसूरत सिद्धि धमाल नृत्य प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य खुशी, शादी, बच्चे के जन्म दिवस आदि अवसरों पर किया जाता है। इसी के साथ भरूच में लगने वाले पीर हजरत बाबा गौर के उर्स में भी इसे पेश किया जाता है। इस नृत्य की खासियत उनके द्वारा पहना गया कॉस्टयूम एवं सिर से नारियल फोड़ने का अंदाज रहा।
महाराष्ट्र नागपुर से आए कलाकारों ने मछुआरा जनजाति के कोली नृत्य की बानगी प्रस्तुत की। नवरंग परिधान पहनकर की गई कोली नृत्य की खूबसूरती देखते ही बनती थी। हाथ में छतरी लेकर बड़े-बड़े ढोल बजाते हुए 15 कलाकारों द्वारा कर्नाटक का ढोल कुनीथा नृत्य प्रस्तुत किया गया। भगवान विरदेश्वर की आराधना में किया जाने वाला यह नृत्य जनजाति शैली का एक नायाब नमूना था। छोटा उदयपुर से आए कलाकारों ने शहनाई राम ढोल वाद्य यंत्रों के साथ होली के 5 दिन बाद किया जाने वाला लोक नृत्य राठवा प्रस्तुत किया। इसमें आदिवासियों ने लाल पगड़ी, सफेद धोती पहन कर तरह-तरह के खूबसूरत पिरामिड बनाकर सबको अचंभित कर दिया।दमयंती भाटिया समूह ने भी अपनी प्रस्तुति मंच पर दी।
विशाल गिदवानी, दीपक लंवगड़े एवं पवन शर्मा ने बताया कि शिल्प मेला प्रतिदिन 12:00 बजे से प्रारंभ हो रहा है और यह 1 जनवरी तक जारी रहेगा। स्वास्थ्य शिविर में हजारों लोगों ने स्वास्थ्य परीक्षण कराया।