लो कॉस्ट पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की जरूरत

  
Last Updated:  November 21, 2023 " 09:29 pm"

आर्किटेक्ट इंजीनियर्स की राष्ट्रीय कार्यशाला में वक्ताओं ने रखे विचार।

धरती के बढ़ते तापमान को बताया खतरे की घंटी।

आर्किटेक्ट् इंजिनियर की नेशनल कांन्फ्रेस का समापन।

इंदौर : पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन कम करने की चिंता अभी तक अंतराष्टीय फोरम पर होती थी, लेकिन अब यह भारत के इंदौर जैसे शहर मे भी हो रही है, जो सुखद संकेत है। धरती का तापमान बढ़ रहा है, जो खतरे की घंटी है। इसलिए हमें पुन: परंपरागत जीवन की ओर लौटना होगा तभी हम यूएनओ द्वारा क्लाइमेट न्यूट्रल इकॉनामी के लक्ष्य को हासिल कर पायेंगे। जरूरत है लो कास्ट पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट किया जाए।

ये विचार मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेश राठौर के हैं, जो उन्होंने आर्किटेक्ट् इंजीनियर्स की दो दिवसीय नेशनल कॉंफ़्रेस के समांपन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। यह आयोजन द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स ने ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में किया था, जिसमें करीब 100 आर्किटेक्ट ने भाग लिया था।

स्वागत उद्बोधन में संस्था अध्यक्ष इंजीनियर आर पी गौतम ने कहा कि हमें डेवलपमेंट् में थ्री आर का प्रयोग करना चाहिए,अर्थात रिड्यूस, रिसाइक्लिंग और रियूज। साथ ही ऐसे निर्माण जरूर होने चाहिए जो सस्टेनेबल डेवलपमेंट के दायरे में आते हों।

इंस्टीट्यूशनल ऑफ प्लानिंग के सेक्रेटरी जनरल वी पी कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हमें सस्टेनेबल सिटी बनाना होगी, जिसमें ट्रांसपोर्ट, शहरीकरण ,ग्रीन बिल्डिंग, वेस्ट मैंनेजमेंट पर काम करने की आवश्यकता है। इस दिशा में सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है। वेस्टेज कम से कम हो और उसका निष्पादन भी होना जरूरी है। अध्यक्षीय उद्बोधन में शुभाशीष बनर्जी ने कहा कि सस्टेनबल डेवलपमेंट पर हम सबको मिलकर काम करना होगा अन्यथा नुकसान होना तय है।

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड अधिकारी अनिल कुमार पंडित ने कहा कि आर्किटेक्ट् को रेट्रो फ़िटिंग पर ध्यान देना चाहिए यानि जो पुरानी मशीन हैं,उसमें एक नया उपकरण डालकर उसे और बेहतर बनाया जाए ।इससे वहनीयता बढ़ जाती है।

इंजीनियर सचिन पालीवाल ने कहा कि 1991 में एसजीएसआईटीएस के विधार्थियों को जो केफेटेरिया बनाकर गिफ्ट दिया था, उसे पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर उसी मटेरियल से ही उसे तेयार किया था ,यह रिसायक्लिग्स का एक अच्छा उदाहरण है।

आर्किटेक्ट प्रियंका अग्रवाल ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में बढ़ते सूखे पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि अगर अभी भी हमने ध्यान नहीं दिया तो स्थिति गंभीर हो जाएगी। अतः जरूरी है कि सरकार इस क्षेत्र में नया इको सिस्टम बनाएं। क्षेत्र में विशेष प्रकार की घास लगाई जाए साथ ही राजस्थान का विशेष पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की प्रजाति को बसाया जाये,क्योंकि इसकी संख्या दिनों दिन, कम हो रही है।

आर्किटेक्चरल इंजीनियर बोर्ड के चेयरमैन संदीप देब और वैष्णव यूनिवरसिटी विद्यापीठ के आर्किटेक्ट विशाल यार्दी ने भी विचार रखे। आईपीएस एकेडमी के आर्किटेक्ट ने भी अपनी बात रखी।

अतिथि स्वागत इंजीनियर आरपी गौतम, डॉ.मनिता सक्सेना, राजीव आर्य, इंजीनियर रमेश चौहान, डॉ. शिल्पा त्रिपाठी ने किया। मीडिया प्रभारी प्रवीण जोशी ने बताया कि कॉंफ़्रेस मे अतिथि वक्ताओ ने अपनी बात पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से रखी। सवाल – जवाब भी हुए।कार्यक्रम का संचालन आर्किटेक्ट कामिनी वड्नोरे और राहुल डोंगरे ने किया। आभार डॉ, शिल्पा त्रिपाठी ने माना। कार्यक्रम में मेहता एंड मेहता एसोसिएट के
डायरेक्टर हितेंद्र मेहता,डॉ, सांवरलाल शर्मा,आर्किटेक्ट डॉ, रुचिका शर्मा, वैशाली शर्मा, अनुग्या शर्मा, प्रतीक अहिरवार सहित बड़ी संख्या में आर्किटेक्ट और इंजीनियर उपस्थित थे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *