वासंती रंग में सजी तरुण जत्रा में बिखरे लोक संस्कृति के रंग

  
Last Updated:  February 9, 2019 " 09:12 am"

इंदौर: मेले को मराठी में जत्रा कहा जाता है। मेले की परंपरा बरसों से चली आ रही है। समय के साथ मेला याने जत्रा के स्वरूप में बदलाव आया है पर खान-पान, खरीदारी और कला- संस्कृति की महक बरकरार है। अब सबकुछ सुनियोजित ढंग से होता है और लोगों की भागीदारी भी अच्छी- खासी रहती है।
बहरहाल हम बात कर रहे हैं दशहरा मैदान पर आयोजित तरुण जत्रा की। वसंत ऋतु के आगमन के चलते इसे वसन्तोत्सव भी नाम दिया गया है। जत्रा परिसर को वासंती रंग से सजाया गया है। आयोजक इसके जरिये यह संदेश देने का भी प्रयास कर रहे हैं कि उमंग, उल्लास और प्रेम की असल छटा हमारी अपनी परंपरा में है। वसंतोत्सव में है। वैलेंटाइन जैसे मल्टीनेशनल कंपनियों के मायाजाल में नहीं।
शुक्रवार को तरुण जत्रा वसंतोत्सव का पहला दिन था। सर्द हवाएं सिमटने- सिकुड़ने और कंपकपाने पर विवश कर रही थी बावजूद इसके जत्रा का आकर्षण लोगों को दशहरा मैदान खींच ही लाया। प्रवेश द्वार पर खालिस महाराष्ट्रीयन वेशभूषा में कार्यकर्ता हाथ जोड़कर अभिवादन करते हुए लोगों का स्वागत कर रहे थे। खूबसूरती के साथ बनाई गई रंगोली भी सबका ध्यान आकर्षित कर रही थी। आगे बढ़ते ही ट्रेड जोन प्रारम्भ हो गया। पापड़, बड़ी अचार से लेकर साड़ियां, कपड़े, घर की सजावट का सामान और फर्नीचर से लेकर नए घर का सपना पूरा करने का पूरा इंतजाम यहां मौजूद है हाँ आपकी जेब जरूर भरी होनी चाहिए। यहां से आगे चलें तो सीधे मंच के सामने पहुंच जाते हैं। मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन का सिलसिला भी मंचीय प्रस्तुतियों के जरिये चल रहा है। पहले दिन बाल- गोपालों का मंच पर कब्जा रहा। कड़कड़ाती ठंड के बाद भी नन्हें- मुन्नों का उत्साह देखते ही बन रहा था। लुभावनी वेशभूषा के साथ असम के बिहू, महाराष्ट्र की लावणी, पंजाब का भांगड़ा सहित राजस्थान, गुजरात और अन्य प्रांतों के लोकनृत्यों की मनोहारी बानगी पेश कर बच्चों ने समूचे भारत की कला- संस्कृति को मंच पर साकार कर दिया। कथक को नए गानों के साथ पेश कर एक नए प्रयोग से भी दर्शकों को रूबरू कराया गया। इसके अलावा स्वच्छ इंदौर का संदेश देती प्रस्तुति को भी सराहा गया। 25 समूहों में करीब 300 बच्चों ने यहां अपनी प्रतिभा का परिचय इन प्रस्तुतियों के माध्यम से दिया।
मनोरंजन के बाद जत्रा में नजर दौड़ाई तो फ़ूड जोन दिखाई दिया। लाजवाब मराठी व्यंजनों की विस्तृत श्रृंखला यहां संजोई गई है। करीब 50 स्टॉल यहां लगे हैं जहां महिलाएं गरमा गरम लजीज व्यंजन मात्र 20 रुपए में शहर के बाशिंदों को परोस रही हैं। कई स्टॉल महाराष्ट्र से आई महिलाओं ने भी लगाए हैं। खानदेशी फुनके, मावे की जलेबी, रगड़ा पेटिस, सहित ढेरों ऐसे व्यंजन हैं कि मन ललचाने लगता है। और हां बच्चों के लिए खास तौर पर किड्स जोन भी है जहां उनके मनोरंजन का पूरा इंतजाम है।
पहले दिन डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा और निगमायुक्त आशीष सिंह ने अतिथि के बतौर मोजूद रहकर तरुण जत्रा की दीप प्रज्ज्वलन के साथ औपचारिक शुरुआत की। आईडीए के पूर्व अध्यक्ष मधु वर्मा और पूर्व विधायक जीतू जिराती भी जत्रा में पहुंचे।
आज शनिवार 9 फरवरी को तरुण जत्रा के मंच पर गौतम काले के संगीत गुरुकुल के बच्चे अपनी प्रस्तुति देंगे। बाद में श्याम खोड़के, विश्वास भावे और अपर्णा भावे के निर्देशन में महानाट्य लव- कुश के राम का मंचन किया जाएगा।
आपको बता दें कि तरुण जत्रा वसंतोत्सव का आयोजन हीरक जयंती रहवासी संघ, महाराष्ट्र समाज राजेन्द्र नगर और तरुण मंच मिलकर कर रहे हैं।

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