हम इकोलॉजिकल इनसिक्योरिटी के दौर में कर चुके हैं प्रवेश – पर्यावरणविद जोशी
11 सदस्यीय दल के साथ 2 हजार किमी की साइकिल यात्रा पर निकले हैं पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी।
इंदौर : प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा दोहन और विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को हो रहे नुकसान की ओर हर आम और खास का ध्यान आकर्षित करने के लिए ख्यात पर्यावरणविद पद्मभूषण अनिल प्रकाश जोशी 11 सदस्यीय दल के साथ साइकिल यात्रा पर निकले हैं। मुंबई से बीती दो अक्टूबर को प्रारंभ हुई यह यात्रा पर्यावरण संरक्षण के प्रति अलख जगाते हुए शुक्रवार 14 अक्टूबर को इंदौर पहुंची। यहां इंदौर प्रेस क्लब में अध्यक्ष अरविंद तिवारी और अन्य पदाधिकारियों ने पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी और अन्य साइकिल यात्रियों का स्वागत किया। इस मौके पर श्री जोशी ने मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए अपनी साइकिल यात्रा के उद्देश्य और संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने मीडियाकर्मियों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया। समाजसेवी दीदी जनक पलटा और अनिल त्रिवेदी भी इस दौरान मौजूद रहे।
2 हजार किमी की है यात्रा।
श्री जोशी ने बताया कि आर्थिकी के पारिस्थितिकी से संतुलन, हवा, जल, जंगल, जमीन और पहाड़ों के सरंक्षण को लेकर निकाली जा रही यह साइकिल यात्रा मुंबई से उत्तराखंड के देहरादून तक करीब दो हजार किमी का सफर तय करेगी। दो अक्टूबर को यात्रा प्रारंभ हुई जो आगामी 9 नवंबर को समाप्त होगी। इसे प्रगति से प्रकृति पथ तक नाम दिया गया है। इस यात्रा से आम लोगों के साथ ही शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि, प्रोफेशनल्स, विद्यार्थी, कारोबारी और उद्योगपतियों सहित समाज के हर तबके को जोड़ने का प्रयास किया गया है, क्योंकि प्रकृति हम सबकी है। इसको पहुंच रहा नुकसान हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य को नुकसान पहुंचाएगा।
पर्यावरण की हानि से बदल रहा है मौसम चक्र।
पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित दोहन और बढ़ते प्रदूषण से मौसम में असामान्य बदलाव आ रहे हैं। यही कारण है कि कहीं बारिश असामान्य ढंग से हो रही है तो कहीं बड़े – बड़े तूफान आ रहे हैं। इससे जन – धन हानि में भी इजाफा हो रहा है।
विकास और पर्यावरण में हो संतुलन।
श्री जोशी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि विकास और पर्यावरण में संतुलन साधने की जरूरत है। पेयजल और ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए हमें विकल्पों पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बड़े बांध कुछ वर्षों के लिए तो हमारी पेयजल, सिंचाई और ऊर्जा संबंधी जरूरतें पूरी कर सकते हैं लेकिन यही बांध बड़े विनाश का भी सबब बन रहे हैं। ऐसे में छोटी – छोटी जल संरचनाएं बड़ी संख्या में बनाई जाएं जिनसे हमारी पानी और ऊर्जा संबंधी जरूरतें पूरी हो सकें। इसी के साथ सौर ऊर्जा और अन्य ऊर्जा विकल्पों पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिससे पर्यावरण को न्यूनतम क्षति पहुंचे।
प्रकृति से जो लिया है, उसे लौटाएं।
पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हम इकोलॉजिकल इनसिक्योरिटी के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। प्रकृति से हमने बहुत कुछ ले लिया पर लौटाया नहीं। शहर हो या गांव हमें अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। उद्योगों को भी चाहिए कि वे प्रकृति के प्रति अपने सामाजिक दायित्व को निभाएं। सामूहिक प्रयासों से ही हम प्रकृति को बचा सकते हैं।
इंदौर, दूसरे शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा।
पर्यावरणविद श्री जोशी ने इंदौर के स्वच्छता में लगातार छठी बार सिरमौर रहने की प्रशंसा करते हुए कहा कि इंदौर ने दूसरे शहरों के लिए उदाहरण पेश किया है। उम्मीद है कि पर्यावरण संरक्षण के मामले में भी इंदौर अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा।