51 लाख आहुतियों के साथ नौ दिनी शिवशक्ति महायज्ञ का समापन

  
Last Updated:  June 10, 2022 " 12:13 am"

इंदौर : सनातन धर्म, संस्कार और संस्कृति के संवर्धन के लिए शिवशक्ति महायज्ञ जैसे अनुष्ठान निरंतर होते रहना चाहिए। शिवाशिव की महती कृपा के बिना इतने दिव्य आयोजन संभव नहीं है। श्रद्धा और विश्वास के साथ हम सबने जिस निष्ठा भाव से देवताओं को, यज्ञ कुंड में आहुतियां समर्पित की हैं, इससे पितृ पर्वत जैसे तीर्थ धाम पर हनुमानजी की साक्षी में आपके शुभ संकल्प और मनोरथ अवश्य साकार होंगे। यह दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का शास्त्रोक्त पुरुषार्थ है। विरासत में मिली संस्कृति को परिपुष्ट बनाने के लिए शिवशक्ति महायज्ञ में की गई तपस्या और साधना हमारी नई पीढ़ी को भी संस्कारित बनाएगी।

ये प्रेरक विचार श्रीविद्याधाम के महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सस्वती ने व्यक्त किए। वे अभिजीत मुहूर्त में पितृ पर्वत स्थित हनुमंत धाम पर चल रहे नौ दिवसीय शिवशक्ति महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर साधकों को संबोधित कर रहे थे। बुधवार शाम और देर रात को हुई बूंदाबांदी को इंद्रदेव की प्रसन्नता और इस महायज्ञ की आहुतियों को स्वीकारने का संकेत बताते हुए उन्होंने सभी साधकों को शुभाशीष प्रदान किए। प्रख्यात संत मां कनकेश्वरी देवी के प्रतिनिधि के रूप में पितरेश्वर हनुमान धाम के प्रमुख कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदेला एवं आकाश विजयवर्गीय, नगर निगम के पूर्व सभापति कैलाश शर्मा, समाजसेवी विष्णु बिंदल, निरंजनसिंह चौहान गुड्डू सहित अनेक धार्मिक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी इस दौरान मौजूद थे। प्रारंभ में सभी संतों एवं अतिथियों का स्वागत श्रीविद्याधाम परिवार के सुऱेश शाहरा, राजेन्द्र महाजन, सुरेश शर्मा, रमेश पसारी, शैलेष पोरवाल, सुनील मालू, शैलेष मूंदड़ा, बलदेव जाजू, अमित शर्मा, महेश खंडेलवाल, अशोक मेहता आदि ने किया।

51 लाख आहुतियों के साथ शिवशक्ति महायज्ञ की पूर्णाहुति।

जैसे ही 51 लाख वीं आहुति संपन्न होने की उदघोषणा हुई, संयोजक आचार्य पं. उमेश तिवारी ने प्रधान कुंड पर पहुंचकर महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती एवं अन्य अतिथियों के साथ यज्ञ देवता के जयघोष के बीच पूर्णाहुति की रस्म संपन्न की। इसके पूर्व मुख्य यजमान दीपक खंडेलवाल ने क्षेत्ररक्षण के लिए कुष्मांड (भूरा कद्दू) की बलि समर्पित की। इसी तरह राष्ट्र के निरोगी रहने, विश्व शांति, जनकल्याण और धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए भी आहुतियां समर्पित की गई।

शुद्ध घी की अखंड धारा से आहुति।

स्थापित देवताओं के हवन पश्चात आचार्य मंडल के पं.प्रशांत अग्निहोत्री, पं. आदर्श शर्मा, पं. आनंद शुक्ला, पं. शिव पुरोहित, पं. अमित शर्मा, पं.हरिश पुरोहित, पं. अभिषेक शर्मा, पं. मनीष शर्मा सहित सभी आचार्यों ने शुद्ध घी की अखंड धारा से शेष 2 लाख आहुतियां संपन्न कराई। प्रत्येक कुंड पर मौजूद ब्राह्मणों और विद्वानों का सम्मान भी किया गया। अभीजित मुहूर्त में पूर्णाहुति की विधि संपन्न होने में करीब डेढ़ घंटे का वक्त लगा। इस दौरान अनेक बार यज्ञ देवता भगवान शिवाशिव और इस यज्ञ के प्रेरणा स्तंभ ब्रह्मलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती के जयघोष के उदघोष भी गूंजते रहे। यज्ञ संयोजक आचार्य पं. उमेश तिवारी ने भाव विभोर होकर अपने गुरुदेव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए सबके प्रति मंगलभाव की कामनाएं व्यक्त की।

निःशक्तों और दिव्यांगों ने की परिक्रमा।

यज्ञशाला की परिक्रमा करने वालों का तांता आखरी दिन भी लगा रहा। अनेक बुजुर्ग, निःशक्त और दिव्यंग लोगों ने भी दूसरों की सहायता से नंगे पांव चलकर एक से लेकर ग्यारह तक परिक्रमा पूरी की। पूर्णाहुति की बेला में आयोजित भंडारे का क्रम शाम तक चला, जिसमें 10 हजार से अधिक भक्तों ने पुण्य लाभ उठाया।

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