विदेशी फंडिंग के जरिए देश में फैलाई जा रही अराजकता- उपाध्याय

  
Last Updated:  June 13, 2022 " 10:02 pm"

इंदौर : राष्ट्रवादी विचारों के प्रचार – प्रसार में जुटी संस्थाएं चैतन्य भारत, राष्ट्र चिंतन और विश्वम के संयुक्त बैनर तले ‘शपथ राम की, सपना रामराज्य का।’ के संकल्प को लेकर व्याख्यान का आयोजन रवींद्र नाट्यगृह में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट के अभिभाषक अश्विनी उपाध्याय थे। उन्होंने एक देश एक कानून, समान शिक्षा नीति, जनसंख्या नियंत्रण कानून, गौहत्या बंदी कानून और धर्मांतरण बंदी कानून की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दायर कर रखी है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचंद सांवला कार्यक्रम के विशेष अतिथि थे। मप्र के अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव, सुरेश पिंगले और अन्य विशिष्टजन भी इस दौरान अतिथि के बतौर मौजूद रहे।

अधिकांश समस्याओं की जड़ है भ्रष्टाचार।

कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए मुख्य वक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि हमारे संविधान में अनेक ऐसे प्रावधान हैं, जिन्हें आज तक लागू ही नहीं किया गया है। वे उन्हीं प्रावधानों को लागू करवाने हेतु कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में व्याप्त अधिकांश समस्याओं की जड़ भ्रष्टाचार है। रोहिंग्या घुसपैठियों का इतनी बड़ी तादाद में हमारे देश में आ जाना और यहां के निवासी होने के दस्तावेज तक हासिल कर लेना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद और बढ़ती अलगाववादी गतिविधियों के पीछे भी भ्रष्टाचार की अहम भूमिका है।

विदेशी फंडिंग के जरिए देश में फैलाई जाती है अराजकता।

अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि देश में लाखों एनजीओ हैं, जिन्हें विदेशी फंडिंग मिलती है। इनमें बड़ी संख्या ऐसे एनजीओ की भी है, जिनके जरिए देश में अराजकता और हिंसा फैलाई जाती है। अराजक तत्वों को बकायदा इसके लिए मोटी राशि दी जाती है। हवाला के जरिए भी करोड़ों रूपए भारत में भेजे जाते हैं और उनका इस्तेमाल अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने में किया जाता है।

समान हो शिक्षा नीति।

श्री उपाध्याय ने कहा वे संवि यूधान में निहित प्रावधानों के तहत ही जनहित याचिका दायर करके उन कानूनों बनवाने की मांग कर रहे हैं, जिससे हमारा देश, समाज और भावी पीढ़ी सुरक्षित माहौल में सांस ले सके। उन्होंने कहा कि देश में एक समान शिक्षा नीति होना चाहिए। सभी का पाठ्यक्रम समान हो। समान नागरिक संहिता, जनसंख्या नियंत्रण कानून, धर्मांतरण पर रोक लगाने और गौहत्या बंदी जैसे केंद्रीय कानूनों की देश को जरूरत है। वे इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके लिए जनता को भी आगे आकर सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत है। अश्विनी उपाध्याय ने अंग्रेजों के बनाए पुलिस कानूनों को भी बदलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जबतक हम भारतीय परंपरा और संस्कृति को संरक्षित करने वाले कानूनों का निर्माण करने के साथ भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं कर देते, रामराज्य की परिकल्पना साकार नहीं हो सकती।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचंद सांवला ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे।

प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। आयोजक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस मौके पर कत्थक के जरिए गणेश वंदना भी पेश की गई। कार्यक्रम का संचालन विक्रम दुबे ने किया। बड़ी संख्या में श्रोता और प्रबुद्धजन इस विचारोत्तेजक व्याख्यान को सुनने के लिए उपस्थित थे।

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