वैदिक विद्वानों को आर्थिक मदद और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग के साथ वेद महोत्सव का समापन

  
Last Updated:  December 19, 2022 " 01:40 pm"

वेदों का सरल भाषा में अनुवाद कर पाठ्यक्रम में शामिल करने,

संस्कृत पाठशालाओं के उन्नयन,

वैदिक विद्वानों को पेंशन तथा जरूरतमंद ब्राह्मणों को बीपीएल एवं आयुष्मान कार्ड देने,

वेदों के लिए काम करने वाली संस्थाओं को दी जाए मदद ।

वेद महोत्सव के समापन पर सरकार से की गई उपरोक्त मांगे।

हजारों नागरिकों ने लिए रक्षा सूत्र एवं अभिमंत्रित रूद्राक्ष।

इंदौर : राजमोहल्ला स्थित वैष्णव विद्यालय परिसर रविवार शाम भारत माता एवं वेद माता के जयघोष से गुंजायमान बना रहा। यहां आयोजित अ.भा वेद महोत्सव में देश के कोने-कोने से आए चारों वेदों के प्रकांड विद्वानों, युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि एवं महानिर्वाणी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती के सान्निध्य में डेढ़ हजार से अधिक वेदपाठी बटुकों ने सनातन हिन्दू धर्म के संवर्धन, आजीवन व्यसनों से मुक्ति, वेदों की शिक्षा, भारतीय संस्कारों की रक्षा, राष्ट्रद्रोही ताकतों के प्रति सजगता और संयुक्त परिवार की परम्पराओँ को पुनर्स्थापित करने की शपथ ली।

समापन अवसर पर सरकार से की गई ये मांगें।

वेद महोत्सव की समापन बेला में सांसद शंकर लालवानी के माध्यम से केन्द्र एवं राज्य सरकारों से मांग की गई कि वेदों का सरल भाषा में अनुवाद कर उन्हें स्कूल- कालेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। षडशास्त्र, षडदर्शन एवं उपनिषदों की धाराओं को भी स्कूली किताबों में शामिल किया जाए। संस्कृत पाठशालाओं का उन्नयन हो, वैदिक विद्वानों और वयोवृद्ध ब्राह्मणों के लिए पेंशन योजना लाई जाए। जरूरतमंद ब्राह्मणों के लिए बीपीएल एवं आयुष्मान कार्ड बनाए जाएं और वेदों के लिए काम करने वाली संस्थाओं को सरकार की ओर से मदद दी जाए। सांसद लालवानी सहित मंच पर मौजूद सभी वरिष्ठ संतों ने भी करतल ध्वनि से इन मांगों का पुरजोर समर्थन किया।

चारों वेदों पर बोले विद्वतजन।

बीते शुक्रवार से चल रहे तीन दिवसीय अ.भा. वेद महोत्सव का समापन दिवस व्यस्त कार्यक्रमों के साथ गुजरा। सुबह के सत्र में चारों वेदों के पारायण के बाद व्याख्यान सत्र में अथर्ववेद के परिचय एवं उसकी विशेषताओं पर विक्रम वि.वि. उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा, वृंदावन के प्रो. रामकृपाल त्रिपाठी, गोकर्ण के श्रीधर अड़ी एवं वृंदावन के डॉ. ऋषि कुमार तिवारी ने अपने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक वि.वि. उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो. मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी ने की। वक्ताओं ने कहा कि अथर्ववेद लोक मंगल एवं लोक कल्याण के लिए प्रवृत्त होता है। ब्रह्माजी के श्रीमुख से सबसे पहले ‘त’ और ‘प’ शब्द प्रस्फुटित हुए थे। त और प से ही तप शब्द बना। अथर्ववेद, अर्थ और ओंकार से मिलकर बना है। ये दोनों परम मांगलिक शब्द हैं। जिस वेद में मंगल ही मंगल हो, वह अथर्ववेद है। मान्यता है कि जिस राजा के राज्य में अथर्ववेद के विद्वान रहते हैं, वह राज्य उपद्रव मुक्त, शांत और सदभाव से रहता है। संचालन डॉ. विनायक पांडे ने किया। सुबह वेद पारायण सत्र का संचालन पं. राकेश भटेले ने किया।

वरिष्ठ समाजसेवी विनोद अग्रवाल का षष्ठीपूर्ति के उपलक्ष्य में सम्मान।

महोत्सव में शहर के वरिष्ठ समाजसेवी एवं उद्योगपति विनोद अग्रवाल का उनकी षष्ठीपूर्ति के उपलक्ष्य में युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि, महानिर्वाणी पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती, महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती के सान्निध्य एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक के आतिथ्य में आयोजन समिति की ओर से शाल-श्रीफल एवं धर्म, समाज तथा संस्कृति के क्षेत्र में उनकी निस्वार्थ सेवाओं के लिए अभिनंदन पत्र भेंटकर सम्मान किया गया। सांसद शंकर लालवानी, पुरुषोत्तमदास पसारी, राधेश्याम शर्मा गुरुजी, पं.गणेश शास्त्री, विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग, दिनेश मित्तल, सुभाष बजरंग, पवन सिंघानिया आदि विनोद अग्रवाल का अभिनंदन करने वालों में शामिल थे।

विद्वानों का सम्मान :-

इस अवसर पर आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री, पं. नारायणदत्त शास्त्री, पं. हरिप्रसाद भारद्वाज, पं.रामचंद्र शर्मा वैदिक, पुरुषोत्तम शास्त्री, वयोवृद्ध वैदिक विद्वान पं. शिवचरण जोशी, महोत्सव के समन्वयक पं. गणेशदत्त शास्त्री सहित शहर के अनेक वैदिक विद्वानों का शाल-श्रीफल और प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मान किया गया।
आयोजन समिति के संरक्षक सांसद शंकर लालवानी, स्वागताध्यक्ष विनोद अग्रवाल, अध्यक्ष पुरुषोत्तमदास पसारी, पं. राधेश्याम शर्मा गुरूजी, पं. गणेश शास्त्री, विष्णु बिंदल, टीकमचंद गर्ग, पवन सिंघानिया, दिनेश मित्तल, प्रेमचंद गोयल, सुभाष बजरंग, अशोक डागा, गिरधर गोपाल नागर, सुरेश बंसल, देवेन्द्र मुछाल, पं. गोविंद शर्मा आदि ने डेढ़ हजार बटुकों द्वारा स्वस्ति वाचन के बीच इन विद्वानों का सम्मान किया।

यूनेस्को ने वेदों को माना है सांस्कृतिक अमानत।

व्याख्यान सत्र के बाद बालीपुर के स्वामी योगेश महाराज के सान्निध्य में सम्पूर्ति सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें प्रो. विजयकुमार मेनन मुख्य अतिथि थे।उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने वेदों को हमारी सांस्कृतिक अमानत माना है, इसलिए इनके संरक्षण की सख्त जरूरत है। मानव सभ्यता को आगे ले जाने में वेद ही सक्षम है। वेद मन शुद्धि, एकाग्रता और ज्ञान की शक्ति से भरपूर हैं। उम्मीद है कि सन 2030 तक भारतीय शिक्षा पद्धति पूरी तरह भारतीय हो जाएगी। प्रो. मिथिलाप्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि वेदों का चिंतन बहुत उदार है। वेदों के अनुसार धरती हमारी माता है, इस दृष्टि से भूमि पर रहने वाले हम सब सहोदर हैं। वेद लौकिक और परलौकिक चिंता करते हैं। आज भी अथर्ववेद में ऐसे मंत्र मौजूद हैं, जो वनस्पतियों को अभिमंत्रित कर हमें सौ वर्ष तक जीने की क्षमता प्रदान करते हैं।

समापन समारोह और धर्मसभा।

महोत्सव का समापन युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज की अध्यक्षता एवं महानिर्वाणी पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती के मुख्य आतिथ्य में विभिन्न प्रस्तावों और संकल्पों के साथ हुआ। संतद्वय ने इंदौर में इस महोत्सव के आयोजन पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आयोजकों को बधाई दी और शुभकामनाएं व्यक्त की। युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि ने कहा कि देश सर्वोपरि है। देश है तो वेद है और वेद है तो देश है। जो सच्चे मन से देश के लिए वेद पढ़ना चाहते हैं, उन्हें पढ़ने देना चाहिए। जो वेद के अनुसार चलेगा, शतायु होगा ही होगा। इस अवसर पर वेदपाठी बटुकों के साथ वैदिक विद्वानों ने भी सनातन धर्म के संवर्धन, आजीवन व्यसनों से मुक्ति, धर्म एवं संस्कृति की रक्षा, राष्ट्रद्रोही ताकतों के प्रति सजगता और संयुक्त परिवार की परम्पराओँ को पुनर्स्थापित करने की शपथ ली। समन्वयक पं.गणेश शास्त्री ने वेद महोत्सव के समापन अवसर पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों से विभिन्न मांगों का वाचन किया। सांसद शंकर लालवानी ने आश्वस्त किया कि इन सभी मुद्दों पर वे केन्द्र एवं राज्य सरकारों का ध्यानाकर्षण करेंगे। कार्यक्रम में शहर के सभी धर्मस्थलों के आचार्य, महामंडलेश्वर, पीठाधीश्वर एवं प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे। संचालन डॉ.विनायक पांडे ने किया।

मनोरथ पूर्ति यज्ञ की पूर्णाहुति।

बाबा सत्यनारायण मौर्य के सान्निध्य में महोत्सव स्थल पर चल रहे मनोरथ पूर्ति यज्ञ की पूर्णाहुति एवं वेद प्रदर्शनी का समापन भी हुआ। सुबह से शाम तक यज्ञ शाला की परिक्रमा एवं प्रदर्शनी देखने वालों का मेला जुटा रहा। समापन बेला में तो यह स्थिति रही कि कार्यक्रम स्थल पर पैर रखने की जगह भी नहीं बची थी। प्रदर्शनी एवं यज्ञ में आने वालों को अभिमंत्रित रूद्राक्ष एवं रक्षासूत्र भी भेंट किए गए।

विभिन्न सहयोगी बंधुओं का भी सम्मान।

मीडिया सहयोगी चंदू गुप्ता एवं नितिन तापड़िया ने बताया कि इस अनुष्ठान में भोजन निर्माण एवं वितरण समिति के बी.के. गोयल, जलसेवा में नारायण अग्रवाल, प्रशासनिक समिति के बंटी गोयल, प्रचार प्रसार समिति के पं. संजय मिश्रा, मंच एवं बैठक व्यवस्था के पं. संजय दुबे, यातायात समिति के पं. गोविद शर्मा, आवास समिति के पं. कुणाल मिश्रा, यज्ञ व्यवस्था समिति के पं. राकेश भटेले, संचालन समिति के पं. गणेश शास्त्री एवं पं. राकेश भटेले, मीडिया समिति के राम मूंदड़ा, चंदू गुप्ता एवं नितिन तापड़िया, चिकित्सा समिति के डॉ. लोकेन्द्र जोशी सहित कार्यालय समिति के सुरेश बंसल, विशाल गिदवानी, मोहन राठौर, सौरभ खंडेलवाल आदि का उल्लेखनीय सहयोग रहा। समापन अवसर पर इन सबका सम्मान भी किया गया।

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