🔹कीर्ति राणा 🔹
मध्य प्रदेश का मतदाता किस पार्टी को सिर आंखों पर बैठाएगा, किसका तर्पण करेगा या सभी की खुशी में अपनी खुशी तलाश लेगा यह खुलासा सर्व पितृ अमावस्या के बाद ही स्पष्ट होने लगेगा क्योंकि तब तक भाजपा के लिए मैदान खुला हुआ है।प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 136 प्रत्याशी घोषित कर चुकी भाजपा को बस 94 नाम ही घोषित करने हैं।
विधानसभा चुनाव 2018 के परिणामों की बात करें तो 230 सीटों में से कांग्रेस ने सर्वाधिक 114 सीटें जरूर हांसिल की लेकिन सत्ता तक पहुंचने के लिए बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन की बैसाखी का सहारा तो लेना ही पड़ा था। 109 सीटें हांसिल करने वाली भाजपा का सत्ता पाने का सपना कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया की कथित ‘धोखाधड़ी’ से पूरा हो गया था।
भाजपा तो प्रत्याशियों की घोषणा में अगस्त से लेकर श्राद्ध पक्ष में चार सूची (39+39+01+57) घोषित कर चुकी है, उसे बस 94 नाम और घोषित करना है। जो नाम रोक रखे हैं तो मान कर चलना चाहिए भाजपा भी अब कांग्रेस की सूची का इंतजार करना चाहती है।नवरात्रि पर्व शुरु होते ही कांग्रेस की घोषित होने वाली सूचियों से घमासान मचना तय है। यह घमासान खुद कांग्रेस में ही अधिक मचेगा।दोनों दलों के बीच उछलकूद भी शुरु हो जाएगी।
भाजपा ने दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार सांसदों को चुनाव मैदान में उतार कर चौंकाया था। कुछ ऐसा ही प्रयोग उसने राजस्थान में पहली सूची जारी करते हुए चौंकाया, यहां भी सात सांसदों को विधानसभा के लिए मैदान में उतारा है।पार्टी में चल रही अंदरूनी खबरों पर भरोसा करें तो अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ विधानसभा चुनाव जीत जाते हैं और पार्टी की राजस्थान में सरकार बन जाती है तो भाजपा बालकनाथ को मुख्यमंत्री बनाकर राजस्थान को वसुंधरा राजे के अदृश्य प्रभाव को भी समाप्त करना चाहती है। वहां जारी इस पहली सूची में पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा राजे के किसी सिफारिशी नाम को तो ठीक राजस्थान में भाजपा को गढ़ने वाले भैरो सिंह शेखावत के दामाद को फिर से मौका नहीं देकर संकेत दे दिया है कि पार्टी हमेशा किसी के भी अहसानों के पहाड़ का बोझ नहीं लादे रह सकती। राजस्थान का यह प्रयोग मप्र में भी जारी रहा तो बहुत संभव है पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन का पुत्र मिलिंद को टिकट दिला पाने की हसरत भी पूरी नहीं हो।सिंधिया घराने से जुड़ी यशोधरा राजे ने चुनाव लड़ने से इंकार कर भाजपा पर अहसान कर रखा है। बहुत संभव है अगली सूची में शिवपुरी से ज्योतिरादित्य को या उनकी पसंद के नाम को टिकट देकर भाजपा सिंधिया परिवार का मान रख ले।
चर्चा यह भी चल पड़ी है कि उज्जैन में इस बार विधायक पारस जैन की उम्मीदों को कंबल ओढ़ा सकती है पार्टी। मालवा क्षेत्र में सिंधिया का प्रभाव भुनाने के लिहाज से पार्टी इस सीट पर सिंधिया को उतार सकती है।ऐसा होने पर उनके खास समर्थक राजेंद्र भारती को पुन: जय जयकार ही करते रहना होगा।वाकई सिंधिया को उज्जैन से टिकट दिया जाता है तो मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा में विजयवर्गीय और सिंधिया-सीएम के योग्य ये दो चेहरे हो जाएंगे। दमित इच्छाओं का गला घोटना कहीं घर में आग ना भड़का दे ऐसे हालात से बचने के लिए भाजपा किसी अन्य चेहरे को भी सीएम बना सकती है, यह भी तब संभव होगा जब भाजपा सत्ता के जादुई आंकड़े को अपने पक्ष में करने का मिजोरम जैसी मनमोहिनी विद्या कर दिखाए।