याद रहेंगी कोरोना की चुनौतियां,जिन्हें आपसी समन्वय से सफलता में बदला

  
Last Updated:  August 1, 2023 " 05:35 pm"

इंदौर से भोपाल कमिश्नर पद पर स्थानांतरित डॉ. पवन शर्मा ने चर्चा में कहा।

कीर्ति राणा इंदौर : संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा अपने तीन साल एक महीने के कार्यकाल में सबसे चुनौतीपूर्ण कोरोना काल वाली अवधि को मानते हैं।डॉ.शर्मा इस अवधि में मिली सफलता का श्रेय पूरे संभाग के लिए बनाई खास रणनीति और आपसी समन्वय से मिली सफलता को देते हैं।
गौरतलब है कि रातों रात पदस्थ किए गए कलेक्टर के रूप में मनीष सिंह ने जब इंदौर शहर की व्यवस्था संभाली थी तब घनी और बड़ी आबादी होने के कारण इंदौर कोरोना के लिए हॉट स्पॉट बन गया था।यही नहीं संभाग के झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर इत्यादि जिले भी अंतर्राज्यीय सीमा के कारण बेहद संवेदनशील बन गए थे।

डॉ. पवन शर्मा ने चर्चा में कहा उस दौरान ऑक्सीजन का संकट था, बेड का संकट था, इंजेक्शन का संकट था, निजी अस्पतालों की अपनी परेशानियां थीं। इन सब चुनौतियों का सामना हमने टीम वर्क से किया।
डॉ शर्मा ने 7 जून 2020 को ज्वाइन किया था। उन्होंने पूरे संभाग के लिए रणनीति बनाकर कार्य शुरु किया और आपसी सहयोग से सफल भी हुए।इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रशासकीय मुखिया होने के नाते डॉ. शर्मा ने मेडिकल संसाधन बढ़ाने और उन्हें क्रियाशील बनाए रखने में भी सक्रिय भूमिका निभाई।एमवायएच अधीक्षक डॉ पीएस ठाकुर सहित अस्पताल स्टॉफ ने इस चुनौती काल में जीजान से सहयोग किया।
कोरोना का कहर थमने लगा तो ब्लेक फंगस चुनौती बन गया।शहर के साथ आसपास के जिलों, संभागों के मरीजों-परिवारों को हमारी स्वास्थ्य सेवा पर भरोसा रहा। डॉ शर्मा ने कहा तब आसपास के शहरों का भी दबाव इंदौर पर बढ़ गया था, सभी जिलों में ऑक्सीजन की सतत् आपूर्ति जरूरी थी।ऐसे में हमने पीथमपुर में एक निजी उद्यम के साथ मिलकर तेज़ी से ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई और इससे संभाग के सभी जि़लों के साथ-साथ हरदा और उज्जैन सहित अन्य जि़लों में भी ऑक्सीजन की आपूर्ति संभव हो सकी। डॉ शर्मा के बेहतर समन्वय से इंदौर एयरपोर्ट में आक्सीजन टैंकर की लगातार एयरलिफ्टिंग की गई, जिससे ऑक्सीजन की सतत् आपूर्ति संभव हो सकी। संभागायुक्त ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत विभिन्न शासकीय अस्पतालों में कोविड के भर्ती मरीज़ों के उपचार के लिए बिस्तरों की संख्या बढ़ाई और मरीजों के उपचार के लिए हरसंभव प्रयास किए। इंदौर और खंडवा के मेडिकल कॉलेज में नर्सों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ तेज़ी से पूरी कराई।नतीजा रहा कि संभाग में ढाई सौ से अधिक नर्सों की नियुक्ति हो सकी और कोरोना के इस कठिन काल में मरीज़ों के उपचार में महत्वपूर्ण मदद मिली। संभागायुक्त डॉ. शर्मा की पहल पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के बेहतर उपयोग के लिए हुई कार्यशाला को गाइड लाइन के रूप में अन्य संभागों में भी अपनाया गया।

मरीजों का दबाव बढ़ जाने से चुनौतियां भी कम नहीं थी लेकिन सभी विभागों के सहयोग-समन्वय का ही परिणाम रहा कि कोरोना के बाद बढ़े ब्लैक फंगस के संकट में इंदौर राहत का केंद्र बन गया था। इसके लिए आवश्यक दवाओं की आपूर्ति के लिए हिमाचल प्रदेश की एक कंपनी से भी समन्वय किया, जिसका नतीजा हुआ कि इंदौर और प्रदेश को बड़ी संख्या में एंटी फंगस इंजेक्शन प्राप्त हुए।संकट के उस दौर में इंदौर की प्रेस का साथ भी यादगार रहा। कुछ नेगेटिव खबर मिलती भी तो पहले पूछते, सुझाव भी देते थे।मीडिया मित्रों ने हर खबर में जनहित का ध्यान रखा।इस सहयोग को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

तीन साल एक माह रहे डॉ पवन शर्मा ।

1999 बैच की सीधी भर्ती के आईएएस डॉ. पवन शर्मा ने 7 जून 2020 को संभाग के 25 वे कमिश्नर के रूप में कार्य प्रारंभ किया था। इससे पहले डॉ.शर्मा आयुक्त (फील्ड) नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, कमिश्नर कमर्शियल टैक्स सहित प्रदेश में विभिन्न पदों पर भी रहे हैं। उनसे पूर्व आकाश त्रिपाठी संभागायुक्त इंदौर थे जो वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार की सेवा में हैं।

माल सिंह भयड़िया इंदौर पदस्थ।

8 महीने भोपाल कमिश्नर रहे माल सिंह भयड़िया को डॉ. शर्मा की जगह इंदौर कमिश्नर पदस्थ किया गया है। 2006 बैच सीधी भर्ती के आयएएस भयड़िया ने मंगलवार को प्रदेश के इस प्रमुख संभाग के 26 वें मुखिया के बतौर पदभार ग्रहण किया। भोपाल कमिश्नर के रूप में उन्होंने 7 नवंबर 22 को ज्वाइन किया था, वे बमुश्किल 8 माह पद पर रहे।उनसे पहले गुलशन बामरा भोपाल कमिश्नर थे।

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