इन्दौर : भगवान शिव की कृपा जीव मात्र को बिना किसी पक्षपात और भेदभाव के मिलती है। जीव भले ही उनकी भक्ति करे या किसी और की, अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक जीव पर शिव की कृपा समान रूप से होती है। सावन में शिव की भक्ति किसी भी रूप में फलदायी होती है। भक्ति भी एक कर्म है, जिसका फल अवश्य मिलता है।
उज्जैन के उपनिषद आश्रम के वेदांत दर्शनाचार्य स्वामी वीतरागानंद महाराज ने मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर चल रहे चातुर्मास के दौरान शिव पुराण कथा पर आॅनलाइन प्रवचन देते हुए उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए।
प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, मंत्री राम ऐरन, सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी, महेशचंद्र शास्त्री, सुश्री प्रमिला नामजोशी आदि ने स्वामीजी का स्वागत किया। गीता भवन में चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9 से 10.30 तक शिव पुराण एवं सांय 5.30 से 6.30 बजे तक ब्रम्हसूत्र पर स्वामी वीतरागानंद के प्रवचनों की अमृत वर्षा हो रही है। स्वामीजी के प्रवचनों का सीधा प्रसारण उनके फेसबुक एकाउंट के माध्यम से किया जा रहा है। सावन के तीसरे सोमवार 20 जुलाई को सुबह 10.30 बजे से आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में 11 विद्वानों द्वारा सामूहिक रूद्राभिषेक अनुष्ठान भी होंगे। गीता भवन परिसर स्थित सभी देवालयों का मनोहारी श्रृंगार किया जा रहा है। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार फिलहाल भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा हुआ है। सत्संग सभागृह में सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखते हुए बैठक व्यवस्था की गई है।
श्रावण में शिव की भक्ति फलदायी होती है- स्वामी वीतरागानंद
Last Updated: July 17, 2020 " 07:06 pm"
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