🔺इंदौर।कीर्ति राणा
ज्योतिरादित्य सिंधिया के अप्रत्याशित सहयोग से मप्र की कमलनाथ सरकार को पटखनी देकर चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने साहित्य अकादमी के निदेशक पर पर डॉ. विकास दवे की पहली राजनीतिक नियुक्ति पर दस्तखत किए हैं।डॉ. दवे के रूप में पहली बार मालवा-निमाड़ को यह महत्वपूर्ण पद मिला है। इससे पहले तक निदेशक पद पर ग्वालियर-चंबल और महाकौशल क्षेत्र का ही दबदबा रहा है।यही नहीं बाल साहित्यकार को भी यह पद पहली बार सौंपा गया है। प्रदेश की युवा पीढ़ी और नई पौध को आरएसएस और भाजपा संगठन साहित्य से लेकर संस्कृति तक में जिस राष्ट्रीय चेतना वाले एजेंडे से जोड़ना चाहते हैं उन मंसूबों को तो डॉ. दवे पूरा करेंगे ही, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के अध्यात्म, संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय में भी आरएसएस की गाइडलाइन पर काम करेंगे ताकि साहित्य-संस्कृति की गाड़ी वाम-दक्षिण के झगडे़ से बेपटरी भी न हो और प्रदेश के संस्कृतिकर्मी राष्ट्रीय चेतना को सर्वोपरि मानते हुए काम करने का मानस बना लें।
साहित्य अकादमी के निदेशक पद पर डॉ. दवे से पहले डॉ. उमेश सिंह, डॉ. देवेंद्र दीपक, डॉ. त्रिभुवन शुक्ल आदि रहे हैं ये सभी साहित्यकार ग्वालियर, महाकौशल संभाग से थे।संस्कृति मंत्रालय की यह इकलौती नियुक्ति है जो मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल करते हैं, मालवा-निमाड़ को पहली बार यह सम्मान मिला है।
इसलिए भारी भरकम है निदेशक का पद।
साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे को भारी भरकम जिम्मेदारी दी गई है। संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी प्रेमचंद सृजन पीठ, निराला, मुक्तिबोध सृजन पीठ, धर्मपाल शोध पीठ, कालिदास अकादमी के साथ ही उर्दू, सिंधी, पंजाबी, मराठी अकादमी के साथ सांची विवि भोपाल और मानसिंह तोमर संगीत विवि ग्वालियर, भारत भवन न्यास के साथ ही राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रतिवर्ष दिए जाने वाले 30 से अधिक सम्मान, पुस्तक प्रकाशन, वरिष्ठ साहित्यकारों की पुस्तकों का प्रकाशन, नवोदित साहित्यकारों की प्रथम कृति प्रकाशन के लिए अनुदान आदि निदेशक के कार्य में शामिल हैं। मंत्रालय की पत्रिका ‘साक्षात्कार’ के पदेन डायरेक्टर के साथ ही मप्र में साहित्यिक गतिविधियों के संचालन के लिए 400 से अधिक पाठक मंचों की गतिविधियों की समीक्षा, विवि और महाविद्यालय स्तर पर गठित साहित्यकार मंच को मार्गदर्शन देना भी शामिल है। डॉ. दवे का कहना था पाठक मंचों के कार्यक्रम यदि कागजी खानापूर्ति जैसे ही पाए गए तो इन्हें भंग करने में भी विलंब नहीं करेंगे।मेरा उद्देश्य है कि पाठक मंच से युवा पीढ़ी का जुड़ाव हो। (फेसबुक से साभार)
70 लोग पीएचडी कर चुके हैं डॉ दवे के निदेशन में।
भारतीय बाल साहित्य शोध संस्थान के डायरेक्टर और 26 वर्षों से बाल पत्रिका ‘देवपुत्र’ के संपादक डॉ. विकास दवे के निदेशन में हिंदी-गैर हिंदी भाषी राज्यों के 70 छात्र पीएचडी कर चुके हैं। खुद डॉ. दवे 20 से अधिक पुस्तकों के साथ ही चार बड़े शोध प्रबंध का लेखन कर चुके हैं।