संवाद,पारिवारिक विवादों को सुलझाने का प्रभावी माध्यम – जस्टिस रूसिया

  
Last Updated:  October 2, 2022 " 02:04 pm"

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर द्वारा एक दिवसीय सामुदायिक मध्यस्थता कार्यशाला आयोजित।

इंदौर : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर द्वारा शनिवार को एक दिवसीय सामुदायिक मध्यस्थता कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशासनिक न्यायाधिपति विवेक रूसिया, पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया एवं राजेश हिंगणकर, एडीएम अजयदेव शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यशाला का शुभारंभ किया।

आपसी विवादों को संवाद के आधार पर सुलझाने का प्रयास हो।

इस मौके पर न्यायधिपति विवेक रूसिया ने बताया कि इन्दौर जिले में सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। इसके तहत मध्यस्थों द्वारा समाज में व्याप्त पारिवारिक एवं अन्य भावनात्मक विवादों का प्रारंभिक स्तर पर आपसी समझौते से सौहार्द्रपूर्ण निराकरण किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर इन मामलों को न्यायालय में आने के पूर्व ही समाधान करने में अपनी ये मध्यस्थ महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। प्राप्त आंकडों के अनुसार विगत 5 माह में लगभग 400 प्रकरण सामाजिक मध्यस्थतों के समक्ष रखे गए जिनमें 200 प्रकरणों का सफलतापूर्वक निराकरण किया जा चुका है। सामुदायिक मध्यस्थता कार्यक्रम को गति देने एवं विवादों के वैकल्पिक समाधान प्रणाली की जनमानस में स्वीकारिता बढ़ाने के उद्देश्य से समस्त थाना प्रभारियों एवं सामुदायिक मध्यस्थों की संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है ताकि वर्तमान पीढ़ी में धैर्य की कमी एवं आवेश के कारण समाज में उत्पन्न हो रहे विवादों को संवाद के आधार पर सुलझाने का प्रयास किया जा सके।

सामाजिक व पारिवारिक विवादों के निपटारे में सामुदायिक मध्यस्थता कारगर।

पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र ने कहा कि विकसित देशों में विवादों के निराकरण हेतु मध्यस्थता जैसी प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर रही है, जबकि भारत में प्राचीन काल से उपलब्ध पंच प्रणाली (मध्यस्थता का प्रारंभिक स्वरूप) समय के साथ अस्तित्व विहीन हो गई। जिस प्रकार से देश में जनसंख्या वृद्धि हो रही है उसी प्रकार से समाज में अपराध एवं विवाद में वृद्धि देखी गई है जिनमें खास तौर पर पारिवारिक विवाद शामिल हैं। उक्त विवादों के निराकण हेतु सामुदायिक मध्यस्थता जैसे विषय पर आयोजित कार्यशाला सामाजिक समस्याओं से उपजे विवाद के निराकरण में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

पोटेंशियल ट्रेनर डॉ. मोहम्मद शमीम द्वारा उपस्थित सामुदायिक मध्यस्थ एवं थाना प्रभारियों से परिचयात्मक उद्बोधन के बाद संघर्ष की प्रकृति, मध्यस्थता परिभाषा और अवधारणा, मध्यस्थता प्रक्रिया और चरण, मध्यस्थता में संचार, समझौता वार्ता विषय पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया गया।

दूसरे सत्र में पोटेंशियल ट्रेनर नीना खरे द्वारा ऑनलाइन लिंक के माध्यम से सौदेबाजी, गतिरोध अवधारण एवं प्रबंधन, राजीनामे प्रक्रिया में क्षमा एवं नैतिक मूल्यों का महत्व विषय पर प्रतिभागियों को जानकारी दी गई।

एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन मनीष कौशिक, जिला विधिक सहायता अधिकारी, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इंदौर द्वारा किया गया।

उक्त मध्यस्थता कार्यशाला में ओ.एस.डी/रजिस्ट्रार, नवीन पाराशर, सिस्टम आफिसर, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खण्डपीठ इन्दौर, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इन्दौर के समस्त स्टाफ, 16 समुदायों के 75 सामुदायिक मध्यस्थ एवं इंदौर जिले के 33 थाना प्रभारी सम्मिलित हुए।

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