वो कहानी है, वो क़िस्सा है
पर हर एक की ज़िंदगी का
वो अटूट हिस्सा है।
कभी बहारों सी खुश होती है
तो कभी आँखों से
बरसात की तरह बह जाती है।
कभी कठोर भी हो जाती है
तो कभी भावनाओं में
हर बात कह जाती है।
सतरंगी सी है वो,
हर रंग में ढल जाती है
कुछ अतरंगी सी भी है वो
जो सुबह के आकाश सी
निखर जाती है।
कोई पहेली नहीं है वो,
मानो तो सब कुछ है वो
और न मानो तो
अकेली भी नहीं है वो।
कीर्ति सिंह गौड़
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