आदर्श शासन व्यवस्था और कर प्रणाली कैसी हो, यह देवी अहिल्याबाई से सीखने की जरूरत।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देवी अहिल्याबाई के राजकाज से हैं प्रेरित।
नव निर्मित अहिल्या स्मृति सदन के लोकार्पण समारोह में बोले महामंडलेश्वर आचार्यश्री अवधेशानंद जी
इंदौर : प्रिंस यशवंत रोड पर नव निर्मित अहिल्या स्मृति सदन का लोकार्पण बुधवार को आयोजित गरिमामय समारोह में महामंडलेश्वर आचार्य श्री अवधेशानंद जी ने किया। उन्होंने शिलालेख का अनावरण कर अहिल्या सदन को लोकार्पित किया। मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, विधायक मालिनी गौड़, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता सहित कई विशिष्टजन इस अवसर पर मौजूद रहे। अहिल्या उत्सव से जुड़ी तमाम गतिविधियां अब इसी भवन से संचालित होंगी।
पूरे राष्ट्र के लिए वंदनीय हैं देवी अहिल्या बाई होलकर।
महामंडलेश्वर आचार्य श्री अवधेशानंद जी ने इस मौके पर अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि अहिल्या सदन केवल वास्तु भर नहीं है। इसमें देवी अहिल्याबाई की स्मृतियां, संस्कार, संवेदनाएं जागृत हैं। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या बाई धर्म को सर्वोपरि रखकर शासन चलाती थीं, क्योंकि धर्म नहीं होगा तो इंसान में उदारता और परोपकार की भावना नहीं होगी। धर्म का अर्थ कर्तव्य परायणता और ईश्वर के प्रति समर्पण से है। अहिल्याबाई की भगवान शिव के प्रति अगाध श्रद्धा थी। वे आदर्श शासिका थी। कर प्रणाली कैसी होनी चाहिए ये अहिल्याबाई की नीतियों से सीखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देवी अहिल्याबाई के राजकाज और नीतियों से प्रेरित हैं। इस बात को उन्होंने स्वीकार भी किया है। देवी अहिल्याबाई केवल इंदौर ही नहीं, सारे राष्ट्र के लिए वंदनीय हैं।
आचार्यश्री ने इस बात पर खुशी जताई कि अहिल्या सदन का निर्माण सामान्य जन के सहयोग से हुआ है। उन्होंने कहा कि कोई भी पारमार्थिक कार्य तभी सफल होता है, जब जन सामान्य का उसमें जुड़ाव हो।
देवी अहिल्याबाई ने चुनौतियों का सामना दृढ़ता से किया।
महामंडलेश्वर अवधेशानंदजी ने कहा कि मातृशक्ति स्वभाव से विनयशील होती है पर जब मौका पड़े तो पराक्रम दिखाने से भी पीछे नहीं हटती। देवी अहिल्याबाई ने भी अनेक चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने मातृशक्ति को सैन्य ताकत बनाकर आक्रमणकारियों को पीछे हटने पर मजबूर किया।
ताई से भी कई बातें सीखी।
अवधेशानंद जी ने कहा कि वे केवल सिखाते नहीं, सीखते भी हैं। सुमित्रा ताई ने बीते वर्षों में वेद सम्मेलन आयोजित किया था। उससे प्रेरणा लेकर मैने चारों वेदों का अध्ययन, पठन और पारायण कई स्थानों पर करवाया ताकि वेदों के बारे में लोगों को जानकारी हो सकें।
अहिल्या सदन में बनाएं लाइब्रेरी।
आचार्य श्री अवधेशानंद जी ने सुझाव दिया कि नव निर्मित अहिल्या सदन में एक लाइब्रेरी स्थापित की जाएं, जिससे लोग कुछ समय किताबों के साथ गुजार सकें। उन्होंने अपनी ओर से लाइब्रेरी के लिए कई ग्रंथ भेंट करने की भी बात कही।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महामंडलेश्वर आचार्य श्री अवधेशानंद जी ने दीप प्रज्ज्वलन किया। प्रस्तावना और नव निर्मित भवन के बारे में जानकारी अशोक डागा ने दी। स्वागत भाषण सुमित्रा ताई महाजन ने दिया। अतिथि स्वागत सुमित्रा ताई, मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी ने किया। आभार शरयू वाघमारे ने माना।