एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. वीपी पांडे के पुत्र हैं तत्सत।
(राजेंद्र कोपरगांवकर ) : आमतौर पर परंपरागत पेशे को अपनाना युवाओं के लिए एक आसान विकल्प समझा जाता है। परिवार का कोई बिजनेस हो तो नई पीढ़ी को भी उसे सम्हालने के लिए प्रेरित किया जाता है। आम धारणा ये भी है की पिता जिस प्रोफेशन से जुड़े हों, बेटा – बेटी भी उसे ही अपनाएं। जैसे डॉक्टर के बच्चे डॉक्टर बनते हैं या वकील के बच्चे वकालत को अपना लेते हैं। अथवा कोई बड़ा अधिकारी हो तो उसकी मंशा भी यही होती है की उसके बच्चे बड़े होकर उससे भी बड़े अधिकारी बनें। हालांकि कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जो पुश्तैनी कारोबार या प्रोफेशन को न अपनाते हुए अपनी अलग राह चुन लेते हैं। जाहिर है, इसमें जोखिम होती है, असफलता का सामना भी करना पड़ता है पर जिनके इरादें मजबूत होते हैं, वे तमाम झझावातों से गुजरकर अपना मुकाम बना ही लेते हैं।ऐसे ही एक युवा हैं तत्सत पांडे,जिन्होंने डॉक्टर पिता से अलग अपने लिए वो रास्ता चुना जिसमें उन्हें अकेले ही संघर्ष करते हुए आगे बढ़ना था।तमाम कठिनाइयों के बावजूद तत्सत ने अपने प्रयास जारी रखे और आज वे बॉलीवुड व ओटीटी जैसे माध्यमों में पटकथा लेखक के बतौर अपनी पहचान बना चुके हैं।
शहर के ख्यात गठिया रोग विशेषज्ञ और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. वीपी पांडे के सुपुत्र हैं तत्सत पांडे। पिता डॉ.वीपी पांडे की पहचान शहर के नामांकित डॉक्टर्स में होती है। सैकड़ों डॉक्टर उनसे शिक्षा पाकर कामयाबी के शिखर को छू रहे हैं पर चिकित्सकीय पेशे से अलग तत्सत की रुचि शुरू से ही बॉलीवुड में करियर बनाने की थी। कथा – कहानियां लिखने का शौक उनको बचपन से था। यही शौक उनको बॉलीवुड और ओटीटी जैसे नए माध्यमों की ओर ले गया। आईआईएम से एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले तत्सत चाहते तो किसी बड़ी कंपनी में मोटी तनख्वाह पर नौकरी कर सकते थे पर उन्होंने अपने शौक को ही करियर बनाया। फिलहाल वे कई वेब सीरीज का लेखन कर रहे हैं। उनकी लिखित वेब सीरीज ‘घर वापसी’ को श्रेष्ठ वेब सीरीज का तमगा मिल चुका है। अमेजन प्राइम पर इसका प्रसारण किया जा रहा है।
युवा पीढ़ी के संघर्ष के बीच सफलता की संभावनाओं को तलाशता “हाफ़ -CA “
तत्सत पांडे ने एमबीए के साथ चार्टर्ड एकाउंटेंसी का कोर्स भी किया है। सीए की परीक्षा बेहद कठिन मानी जाती है, जिसमें सफल होने वाले युवाओं का प्रतिशत बेहद कम होता है। इस कोर्स के दौरान युवाओं के संघर्ष, आशा, निराशा और उनकी सफलता की संभावनाओं को लेकर तत्सत ने व्यावहारिक सीरियल लिखा है ‘हाफ़ सीए’। यह सीरियल इस बेहद मुश्किल कोर्स के दौरान विफलताओं से जूझते हुए सफलता के शिखर को छूने की जिजीविषा जगाता है।
TV F के बैनर तले इस वेब सीरीज का निर्माण किया जा रहा है। यह कंपनी, व्यावसायिक कोर्स कर रहे युवाओं के संघर्ष को लेकर सकारात्मक सीरियल बनाने के लिए प्रसिद्ध है। सी ए की महत्वपूर्ण परीक्षा में 8 से10 प्रतिशत युवा ही चयनित हो पाते हैं। शेष अपने अपने तरीक़े से इस कोर्स को छोड़ते हैं । यह सीरियल इन सभी युवाओं के लिए वास्तविक ज़िंदगी के संघर्ष को बताता है । देश के हज़ारों चार्टर्ड अकाउंटेंट और इसकी सफलता के लिए तैयारी कर रहे युवा इसमें अपनी ज़िंदगी को देख पाएंगे। तत्सत मानते हैं की उनके लिए इस वेब सीरीज का लेखन बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है।