एक दर्जन स्कूलो के छात्रों ने मनवाया अपने हुनर का लोहा।
पानी की सफाई और बिजली का उपयोग कम करने के बनाए मॉडल।
बायोफ्यूल के जरिए स्पेस मैं जाने के तरीके बताएं।
हैंडमेड आर्ट के साथ कचरे को कंचन बनाने की तकनीक भी बताई।
इंदौर : आधुनिक विज्ञान और आध्यात्मिक विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। हमारे ऋषि मुनि और गुरु जन शताब्दियों से जिन तकनीक से समय की गणना करते थे, जल यंत्रों का संचालन करते थे, अब वही तरीके आधुनिक विज्ञान में भी कारगर साबित हो रहे हैं। यह बात सही साबित कर दिखाई आधुनिक स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों ने।
लालबाग परिसर में हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला में स्कूली छात्रों को अपना हुनर दिखाने का मौका दिया गया। आध्यात्मिक विज्ञान और आधुनिक विज्ञान के तुलनात्मक अध्ययन के लिए एक प्रदर्शनी आयोजित की गई,जिसमें स्कूली बच्चों ने विभिन्न माडलो के माध्यम से जीवन में विज्ञान की उपयोगिता को समझाया। बच्चों ने अपने-अपने प्रोजेक्ट को मंच पर आकर प्रदर्शित किया। सत्य साइ स्कूल ने एक्वा हार्मनी टाइटल से जल शुद्धिकरण यंत्र से अवगत कराया। श्रीजी इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों ने जल संयंत्र, जल यंत्र, समय यंत्र को बारीकी से समझाया।भवंस प्रॉमिनेंट स्कूल की छात्र-छात्राओं ने बायोफ्यूल से अंतरिक्ष को नापने वाले पुष्पक विमान की कल्पना को साकार किया। गोल्डन इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने हैंडमेड माड़ना ,आर्टवर्क कर खुद को साबित किया कैटालिस्ट वर्ल्ड स्कूल ने शुगर केन के कचरे से बनाई जाने वाली वस्तुओं पर अपना हुनर दिखाया उन्होंने गन्ने की चर्खियों के माध्यम से निकलने वाले कचरे के वेस्ट को फिर से प्रोसेस कर थाली, कटोरी जैसे बर्तनों में तब्दील किया।