पुलिस की केस स्टडी में ये तथ्य हुआ उजागर।
18% को नहीं पता यह अपराध है।
इंदौर : नाबालिग लड़कियों के घर से लापता होने के मामले में बाणगंगा थाना अव्वल है। उसके बाद लसूड़िया, चंदन नगर, आजाद नगर, राजेंद्र नगर, द्वारकापुरी, एरोड्रम, हीरानगर, भंवरकुआं फिर राऊ का नंबर आता है।यहां स्लम बस्तियां हैं। माता-पिता बच्चियों पर ध्यान नहीं देते। सोशल मीडिया के फेर में आकर 50 प्रतिशत लड़कियां घरों से चली गईं। दो साल में लापता हुई बालिकाओं के 1 हजार से ज्यादा प्रकरणों पर हुई केस स्टडी में यह बात सामने आई है।
एसीपी विजयनगर ने की है ये केस स्टडी।
पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता के निर्देशन में एसीपी विजय नगर कृष्ण लालचंदानी ने गुमशुदगी के प्रकरणों पर अपनी स्टडी रिपोर्ट तैयार की है। इसमें यह भी खुलासा हुआ कि जो नाबालिग लड़कियां भागी हैं, वे गुजरात, मंडीदीप, भोपाल और पीथमपुर जैसे औद्योगिक नगरों में जाकर छिपती हैं। इन्हीं स्थानों पर खोज के बाद ये मिली हैं। क्योंकि, यहां फैक्टरियों में दिहाड़ी मजदूरी मिलने से इन्हें जीवन यापन में दिक्कत नहीं आई।
एसीपी लालचंदानी ने बताया कि 2023 और 24 के 7 माह में बाणगंगा क्षेत्र से सर्वाधिक नाबालिग लड़कियां भागी हैं। सभी मामलों में अपहरण के केस दर्ज किए गए। 2024 के 7 महीने में 450 बालिकाओं का अपहरण हुआ। इनमें से 427 लड़कियों को पुलिस ने तलाश कर परिजन के हवाले किया है। इनमें 93 प्रतिशत लड़कियां 12 से 18 साल की हैं और 6 प्रतिशत 6 से 12 साल की। शेष 17 से 18 (कुछ माह कम) के बीच हैं।
20% मामलों में 12 से 17 साल की लड़कियां।
घर से गई नाबालिगों से, उनके पति, दोस्तों व परिचितों से हुई चर्चा में पता चला कि 50 प्रतिशत बालिकाएं सोशल मीडिया पर प्रेम प्रसंग में पड़कर घर से गई हैं। 20 प्रतिशत मामलों में 12 से 17 साल की लड़कियां सहेलियों से प्रेरित होकर प्रेम प्रसंग में भागी हैं। 10 प्रतिशत वे हैं जो घर वालों की पसंद के लड़के से शादी के दबाव में गईं, इनमें वे भी हैं जो आर्थिक मजबूरी के साथ ही परिजन के घर न होने पर आस पड़ोस के युवकों के बहकावे में आकर गई हैं। वहीं, 8 प्रतिशत बालिकाएं बिना पढ़ाई और परिवार वालों से तंग आकर भागी हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि 18 प्रतिशत आरोपियों को अपराध का बोध नहीं है।
ये हैं घर से चले जाने के मुख्य कारण :-
बाणगंगा, लसूड़िया, चंदन नगर, आजाद नगर और राजेंद्र नगर जैसे टॉप 5 थानों में नाबालिगों के भागने का मुख्य कारण यहां की स्लम बस्तियां हैं।
कई बालिकाओं ने बताया कि माता-पिता जब मजदूरी पर जाते थे तो आसपास के लोग उनका सहारा होते थे। वे बहकाकर साथ ले जाते हैं।
लेबर क्लास होने के साथ असाक्षरता भी बड़ा कारण है। परिवार का होल्ड न होने से बाहर वाले के प्यार और दोस्ती में आकर वे भागी हैं।
कई बालिकाएं फैक्टरी में माता-पिता के साथ काम करने के दौरान संपर्क में आए लड़कों के बहकावे में उनका शिकार बनी हैं।
बस्तियों में पुलिस चला रही सृजन अभियान।
एसीपी ने बताया कि स्लम एरिया में नाबालिग बच्चियों को जागरूक करने के लिए ‘सृजन’ अभियान चलाया जा रहा है। वहां बालिग-नाबालिग बच्चों को समझा रहे हैं कि ये अपराध है। कुछ प्रकरणों में नाबालिग के केस में सीधे अपहरण का केस दर्ज करने के बजाय उनकी तलाश पर जोर दिया जा रहा है।