इंदौर : स्वच्छता के मामले में एक बार फिर इंदौर सर्वोपरि रहा है। चौथी बार देश के सबसे साफ-सुथरे शहर के तौर पर पहचान बनाने के पीछे इंदौर वासियो के अनुकरणीय सहयोग , नगर निगम का कुशल नेतृत्व व प्रबंधन और हमारे सफाई मित्रों की अथक मेहनत का कमाल है।
इस सबके बीच प्रदेश का प्रतिष्ठित संस्थान SGSITS अपने शैक्षणिक दायित्वों के साथ प्रदेश के स्वच्छ तकनीकि संस्थान के भूमिका का निर्वहन करता आया है। संस्थान में प्राकृतिक और तकनीकि शोध आधारित तरीकों से स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का अनुकरणीय कार्य प्रचलन में है।
संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश सक्सेना ने बताया Sgsits का उद्देश्य समाज में वैज्ञानिक, तकनीक और शोध का उच्च स्तरीय मानव कल्याण संसाधन विकसित करना रहा है।
डॉ. राकेश सक्सेना के मुताबिक संस्थान ने सबसे पहले तो प्रतिदिन निकलने वाले कचरे की समीक्षा की और जो कमियां थी उनको दूर किया। इसके लिए संस्थान स्तर पर चल रहे कार्यो के मापदंड, भारत सरकार के मानक और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 के अनुसार कार्यप्रणाली स्थापित कर प्रतिदिन उनकी समीक्षा के लिए संस्थान में पर्यावरण संरक्षण व् ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समिति का गठन किया गया । प्रतिदिन समीक्षा का यह फायदा यह हुआ की कभी कभी अनचाही बड़ी समस्या भी बड़ी आसानी से हल हो जाती है।
संस्थान में दो स्तर पर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य किया जाता है। संस्थान में प्रतिदिन कचरा संग्रहण, वर्गीकरण और उसका समुचित निराकरण किया जाता है। केंटीन एवं मेस से निकलने वाले सब्जी और झूठन के कचरे को संस्थान में स्थापित स्वचालित कम्पोस्टिंग मशीन से किया जाता है। संस्थान में निवास रत शिक्षक व कर्मचारीगण अपने यहाँ के सूखे और गीले कचरे का निस्तरण नगर निगम इंदौर के माध्यम से करते हैं। संस्थान का उद्देश्य यह है की कचरे का संग्रहण और परिवहन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 के नियमों के अनुसार विभागवार कचरा संग्रहण पृथक- पृथक वाहनों से हो और बिना ज़मीन पर गिरे और बिना मानव संपर्क कचरा निस्तारित किया जाए। संस्थान में प्रतिदिन लगभग 1 टन गीले कचरा उत्पन होता है। स्वचालित कम्पोस्टिंग मशीन से 24 घंटो में खाद तैयार हो जाती है जिसे अल्प मात्रा में मिटटी में मिश्रित कर प्रयुक्त किया जाता है। सुखी पत्तियों को केज आधारित जालियो में संग्रहित कर खाद बनाया जाता है।
संस्थान में रोपित वर्षो पुराने पेड़ के नीचे पाल निर्मित कर पत्तों से परम्परागत तकनीक से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है।
संस्थान में स्व स्तर पर निर्मित हाथ ठेला से विभागवार कचरा संग्रहण किया जाता है। गीला और सूखा कचरा संग्रहण पृथक पृथक किया जाता है I संस्थान में 75 किलो प्रति दिन क्षमता का गीले कचरे का प्रसंस्करण प्लांट है। 80 किलो क्षमता के लगभग 20 जाली नुमा कंटेनर सूखे कचरे के प्रसंस्करण प्लांट हैं I इसके आलावा संस्थान में टेस्टिंग कंसल्टेंसी के तहत मटेरियल टेस्टिंग के मलबे से उत्पन होने वाला कचरे के निवारण के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन डेब्रिस को प्रयोग कर पैवर ब्लॉक,ईट गमले और पाइप बनाये जाते हैं।
प्रतिदिन 29 एकड़ में फैले परिसर की सभी मुख्य रोड की सफाई स्वीपिंग मशीन और अन्य सहायक रोड की सफाई 12 मैकेनिकल स्वीपर से होती है। यह कार्य रात सुबह 8 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक चलता है I इसी प्रकार से मैनुअल झाडू के बीट प्लान और लिटिर के लिए लिटिर पीकिंग प्लान भी हैं।I मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन को रात्रि में इलेक्ट्रिकल रिचार्जिंग कर परिसर में प्रयुक्त किया जाता है जिससे परिसर को डस्ट फ्री बनाया जाता है. संस्थान में लगभग 60 डस्टबिन की स्थापना उचित कलर कोड अनुसार संस्थान के एलुमनाई द्वारा किया गया है।
संस्थान का सूखा कचरा नगर निगम इंदौर के सहयोग से निस्तारित किया जाता है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को सफल बनाने के लिए गीले कचरे से बनने वाली खाद को प्रयुक्त किये जाने हेतु संस्थान परिसर में उद्यानो को विकसित किया जा रहा है। उद्यानो में प्लांटेशन एवं लॉन को सुन पथ ट्रैकिंग के आधार पर लगाया जाता है उक्त के सिचाई हेतु संस्थान में स्थापित आटोमेटिक वास्ते वाटर प्लांट जो पीएलसी बेस से वाटर रीसायकल कर प्रयुक्त किया जाता है। इस तरह परिसर में लॉन की घास सूखने की गुंजाईश कम हो जाती है। परिसर में 2 एकड़ का सिटी फारेस्ट भी विकसित किया जा रहा है और शहर के आस पास हरियाली बनाये रखने के लिए लगभग 5000 सीड बॉल्स आम जनमानस को उपलब्ध करए गए है.
परिसर के लिए समुचित जल व्यवस्था किये जाने हेतु सस्टेनेबल डेवलपमेंट प्लान को अंगीकृत किया गया है। स्मार्ट सिटी इंदौर के सहयोग से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की उच्च दक्षता इकाई स्थापित की गई है। नगर निगम इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के विभिन्न मॉडलों पर शोध कार्य प्रचलन में हैं।
परिसर में निर्मित हरियाली और पुराने वृक्षों के संरक्षण ने जैव विविधता में सहायता प्रदान की है। आज परिसर में दुर्लभ पक्षियों का निवास है और मौसम आधारित प्रवासी पक्षियों का आवागमन होता है।