नई दिल्ली: अहम संशोधनों के बाद फिर से लोकसभा में लाए गए तीन तलाक़ बिल पर गुरुवार को बहस की जा रही है। विपक्ष के तेवर बिल को लेकर अभी भी तल्ख बने हुए हैं। उसका कहना है कि बिल में पति को जेल भेजे जाने का प्रावधान गलत है। ये पुरुष विरोधी बिल है।
कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि सरकार को धार्मिक मामलों में दखलंदाजी से बचना चाहिए। उन्होंने तीन तलाक़ बिल पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत बताते हुए इसे 15 दिन के लिए जॉइंट सिलेक्शन कमेटी को भेजने की मांग की। aimim के असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने खड़गे की मांग का समर्थन किया।
ओवैसी का कहना था कि सरकार ने बिल को लेकर किसी से भी चर्चा नहीं की। सुष्मिता देव ने तीन तलाक़ बिल को मुस्लिम पुरुषों के खिलाफ बताते हुए गिरफ्तारी के प्रावधान पर ऐतराज जताया। उन्होंने बिल को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए।
सरकार की ओर से मीनाक्षी लेखी ने मोर्चा सम्हालते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये मामला लैंगिक समानता और संवैधानिक अधिकारों का है। मीनाक्षी लेखी ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वो ये बताए कि कुरान की किस आयत में तीन तलाक़ का जिक्र है। मोहम्मद साहब भी तलाक़ के खिलाफ थे। मीनाक्षीजी ने कहा कि तीन तलाक़ में सारे हक़ पुरुषों के पास हैं, विपक्ष का कोई नेता इस बारे में बात नहीं कर रहा।
सरकार ने किए हैं आवश्यक बदलाव
इसके पूर्व तीन तलाक़ बिल को सदन के पटल पर रखनेवाले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक़ बिल में जरूरी संशोधन करने के बाद इसे दोबारा संसद में रखा गया है। इसमें गिरफ्तारी के साथ जमानत का प्रावधान भी जोड़ा गया है। पीड़ित महिला और रक्तसम्बन्धी ही इस बिल के तहत एफआईआर कर सकते हैं। इसके अलावा सुलह- सफाई की गुंजाइश भी रखी गई है। रविशंकर प्रसाद ने कहा की छोटी- छोटी बातों को लेकर तीन तलाक़ दिया जा रहा है। ये बिल किसी समुदाय या आस्था के खिलाफ नहीं है। नारी की गरिमा, अस्मिता और सम्मान की रक्षा के लिए यह बिल लाया गया है। कानून मंत्री ने विपक्ष को याद दिलाया कि 20 इस्लामिक देशों में भी तीन तलाक़ पर प्रतिबंध है। भारत एक धर्मनिरपेक् देश है ऐसे में यहां ये कुप्रथा क्यों होनी चाहिए। उन्होंने बिल को लेकर राजनीति नहीं करने की भी अपील की।
बिल पर बहस जारी है। संभावना यही है कि मतदान के जरिये ये बिल लोकसभा में पारित होगा।