स्वयं के रहने हेतु मकान किराए पर लेना जीएसटी के दायरे में नहीं

  
Last Updated:  May 8, 2023 " 12:45 am"

होटल, हॉस्पिटल, हॉस्टल और मकान किराए पर लेने के मामले में जीएसटी के प्रावधानों पर सेमिनार का आयोजन।

इंदौर : जीएसटी जब देश में लागू किया गया था तब रिहायशी मकान का किराया,हॉस्पिटल की समस्त सेवाएं, होटल में एक हजार रुपये तक के किराये पर जीएसटी को करमुक्त रखने के प्रावधान थे लेकिन दिनांक 18 जुलाई, 2022 से सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी करके इस प्रकार की छूट को ख़त्म कर दिया गया है। जीएसटी में होटल, हॉस्टल एवं हॉस्पिटल पर कर के क्या प्रावधान हैं.? उसके लिए टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इंदौर एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की इंदौर शाखा द्वारा एक संयुक्त सेमिनार का आयोजन किया गया !

इस सेमिनार के मुख्य वक्ता सी ए नवीन खंडेलवाल थे ! उन्होंने बताया कि होटल्स के लिए पहले एक हजार रुपए तक के रूम चार्ज पर मिलने वाली छूट दिनांक 18 जुलाई 2022 से वापस ले ली गयी है ! उनका मत था कि होटल्स के रूम कैंसिल होने पर यदि कोई चार्ज लिया जाता है तो उस पर भी जीएसटी देना होगा !

साथ ही रिहायशी मकान, जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यक्ति को किराये पर देने पर, किरायेदार को इस पर रिवर्स चार्ज के अंतर्गत भुगतान करने के प्रावधान लागू किये गए है ! इन प्रावधानों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रारम्भ में बहुत भ्रान्ति थी ! अब सरकार द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि किसी व्यावसायिक फर्म को कोई रिहायशी मकान व्यापार में उपयोग के लिए किराये पर दिया गया है तो ही कर देना होगा ! अर्थात किसी रजिस्टर्ड व्यापारी द्वारा स्वयं के रहने हेतु मकान पर कोई जीएसटी देय नहीं होगा !

हॉस्पिटल द्वारा रूम चार्ज पर जीएसटी के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि 5000 से ज्यादा के रूम चार्ज (ICU छोड़कर) पर भी अब हॉस्पिटलस को 5 % की दर से जीएसटी देना होगा ! उन्होंने कहा की यह अप्रत्यक्ष रूप से चिकित्सा सेवा पर कर लगाना है ! उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, क्लिनिक आदि द्वारा दी जाने वाली सेवाएं हेल्थ केयर सर्विस में आती हैं। वहां रूम का चार्ज मरीज़ को दिए इलाज़ का ही हिस्सा है जिसे कम्पोजिट सप्लाई कहा जाता है ! किसी भी बीमार व्यक्ति का हॉस्पिटल में जाने का उद्देश्य सिर्फ इलाज़ कराने का होता है ! वह वहां रहने के उद्देश्य के साथ नहीं जाता है ! एक हॉस्पिटल द्वारा इलाज और रूम के मार्फत चिकित्सीय सेवाएं समग्र रूप में (कंपोजिट रूप) दी जाती हैं। ऎसे केसेस में प्रिंसिपल सप्लाई हेल्थ केयर की होने के बावजूद रूम रेंट की सेवा को टैक्सेशन के लिए अलग करना गलत है ! अतः ऐसी सेवाओं पर जी एस टी लगाना क़ानूनी रूप से असंवैधानिक है !

इंदौर शहर अब शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बन चूका है ! इसके कारण शहर में बड़ी संख्या में हॉस्टल का सञ्चालन किया जा रहा है ! इन हॉस्टल द्वारा छात्रों को मेस सेवाओं के साथ या केवल रूम ही किराये पर दिया जा रहा है ! हॉस्टल सेवा पर जी एस टी के समबन्ध में वक़्ता सी ए नवीन खंडेलवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चूंकि कर्नाटक हाई कोर्ट के निर्णय के बाद ये स्पष्ट हो चुका है कि हॉस्टल द्वारा दी जा रही सेवाएं रहने के उद्देश्य से ही दी जाती है अतः ऐसी सेवाओं पर कोई जी एस टी नहीं लगेगा ! वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने सेवा लेने वाले के द्वारा उपयोग में लिए जाने को (यूज टेस्ट) को मदर सुपीरियर एडोरेशन वाले मामले में सर्वोच्च प्राथमिकता दी है इसलिए इनपर नोटिफिकेशन 12/ 2017 के अंतर्गत जीएसटी देय नहीं है ।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सी ए जे. पी सराफ ने कहा कि चिकित्सीय सेवाओं पर जी एस टी लगाना एवं होटल्स के 1000 तक के रूम रेंट पर जी एस टी की छूट को हटाना तर्कसंगत नहीं है ! सरकार को मध्यम वर्ग की परेशानी को धयान में रखते हुए इस पर पुनः विचार करना चाहिए ! कार्यकम का संचालन सी जी एस टी सचिव सी ए कृष्ण गर्ग ने किया ! इस अवसर पर सी ए एस. एन. गोयल, आर. एस. गोयल, भरत अग्रवाल, एस सी बंसल, किशोर मोटवानी, चेतन शर्मा एवं बड़ी संख्या में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स , अधिवक्ता एवं कर सलाहकार उपस्थित थे ! सी ए सुनील पी जैन ने आभार प्रदर्शन किया।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *