बोले मुख्यमंत्री, जनप्रतिनिधियों की मांग पर लिया निर्णय।
जनप्रतिनिधियों की मांग पर ले रहे निर्णय।
इंदौर : गुरुवार को इंदौर आए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विमानतल पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि भोपाल के बाद इंदौर के बीआरटीएस को हटाने का फैसला भी लिया जा रहा है। शहर के जनप्रतिनिधियों की मांग पर यह फैसला लिया गया है। हाई कोर्ट में भी सरकार की ओर से इस बारे में पक्ष रखेंगे।
बता दें कि बीआरटीएस को लेकर दो मत रहे हैं। कुछ लोगों का कहना था कि बीआरटीएस से सड़क की चौड़ाई कम हो गई है।इसका एलआईजी से व्हाइट चर्च तक का करीब छह किमी के हिस्से में बॉटल नेक है, इससे ट्रैफिक जाम होता है। इसके अलावा बीआरटीएस से महज 20 फीसदी लोग ही आवागमन करते हैं, उनके लिए 80 फीसदी लोगों को परेशानी में डालना ठीक नहीं है। कतिपय लोगों ने बीआरटीएस हटाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका भी दायर कर रखी है।उधर बीआरटीएस के पक्षधर लोगों का कहना है कि इंदौर का बीआरटीएस देश में सबसे सफल है। इसपर चलनेवाली आई बसों में यात्रा करनेवालों में बड़ी तादाद स्टूडेंट्स,कामकाजी महिलाएं और बुजुर्गों की है, जो बिना किसी बाधा के अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं। इसके अलावा एंबुलेंस को भी सीधा रास्ता मिल जाता है, जिससे उन्हें जाम में नहीं फंसना पड़ता। यही नहीं कई मौकों पर किसी वीवीआईपी के आगमन पर उनका काफिला भी बीआरटीएस कॉरिडोर से निकल जाता है, जिससे ट्रैफिक रोकने की जरूरत बहुत कम पड़ती है।
11 साल पहले बना था बीआरटीएस।
इंदौर में 300 करोड़ रुपये की लागत से साढ़े 11 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस 11 साल पहले शुरू हुआ था। निरंजनपुर से राजीव गांधी सर्किल तक निर्मित बीआरटीएस में 40 आई बसें चलती हैं।इसपर मेट्रो की तर्ज पर 12 स्टेशन भी बनाए गए है। प्रतिदिन लगभग 65 हजार यात्री इसमें सफर करते हैं।इस प्रोजेक्ट के लिए जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत इंदौर को राशि मिली थी।