हमारे कर्म के आधार पर ही मोक्ष की मंजिल तय होती है : आचार्य पंडित तिवारी

  
Last Updated:  October 3, 2024 " 12:53 am"

सर्वपितृ अमावस्या पर हजारों लोगों ने किया पूर्वजों का तर्पण।

इंदौर : तर्पण में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा के साथ अर्पण और समर्पण का भाव भी होना चाहिए। सनातन संस्कृति सात जन्मों तक पुनर्जन्म में विश्वास रखती है। हमारे कर्म के आधार पर ही मोक्ष की मंजिल तय होती है। भविष्य को संवारने के लिए वर्तमान में अपने प्रत्येक कर्म में अर्पण और समर्पण का भाव भी रखें, यही अपने पूर्वजनों का सबसे बड़ा तर्पण होगा। प्रसन्नता और शांति बाजार में नहीं मिलते। तर्पण पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा को व्यक्त करने का शास्त्रोक्त उपाय है, जो स्वयं हमें भी मोक्ष की मंजिल तक ले जाएगा। ये दिव्य विचार आचार्य पं. पवन तिवारी ने व्यक्त किए। वे एयरपोर्ट रोड, पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे 16 दिवसीय तर्पण अनुष्ठान के समापन प्रसंग एवं सर्वपितृ अमावस्या पर उपस्थित साधकों को संबोधित कर रहे थे। सर्वपितृ अमावस्या होने के कारण बुधवार को सुबह से ही हंसदास मठ पर साधकों का मेला जुटने लगा था। साधकों के सैलाब को देखते हुए दो पारियों में तर्पण की व्यवस्था करना पड़ी। मुख्य पांडाल के साथ ही साधकों के लिए मठ के परिसर में भी पांडाल लगाया गया। इस अवसर पर मुंबई, अहमदाबाद एवं अन्य शहरों के साधकों ने भी सपरिवार आकर तर्पण में भाग लिया। बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी शामिल हुए। कार्यक्रम में समिति के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मलीन मोहनलाल सोनी की स्मृति में साधकों को 2100 तुलसी के पौधे भी भेंट किए गए।

भगवान हरि विष्णु का पूजन महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सान्निध्य एवं युवराज महांडलेश्वर पं. पवनदास महाराज के आतिथ्य में अध्यक्ष हरि अग्रवाल, उपाध्यक्ष राजेन्द्र सोनी, महासचिव डॉ. चेतन सेठिया, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, गौरव अग्रवाल एवं अन्य संतों-महंतों ने किया। तर्पण स्थल के साथ ही पास के मैदान में भी साधकों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि पैर रखने की जगह भी नहीं मिल पाई। विभिन्न पारियों में दोपहर 12 बजे तक करीब 2 हजार साधकों ने तर्पण अनुष्ठान में भाग लिया और परंपरा के अनुसार गोशाला पहुंचकर गोसेवा करते हुए दान का पुण्य लाभ भी उठाया। आरती में जगमोहन वर्मा, मनोज परमार, सत्येन्द्र द्विवेदी, विनय जैन, मुरलीधर धामानी, शंकरलाल वर्मा, आशीष जैन, गिरधर सोनी, राजकुमार मिश्रा, ज्योति शर्मा, मंजू सोनी, अनिल सांगोले सहित बड़ी संख्या में साधकों ने भाग लिया। आयोजन समिति की ओर से आचार्य पं. पवन तिवारी एवं भागवताचार्य पं. गौरव तिवारी को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। अनुष्ठान की पूर्णाहुति यज्ञ-हवन के साथ संपन्न हुई। संचालन हरि अग्रवाल एवं राजेन्द्र सोनी ने किया। आभार राजेन्द्र गर्ग ने माना। अंत में सभी साधकों ने भगवान हरि विष्णु के पूजन एवं आरती में कतारबद्ध होकर भाग लिया।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *