इंदौर : सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर में आर्थिक तंगी और परेशानियों के मद्देनजर फिर से लोन मोराटोरियम यानि ऋण स्थगन राहत व बैंकों द्वारा एनपीए की घोषणा पर अस्थायी रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह वित्तीय मामलों का विशेषज्ञ नहीं हैं।
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि हम स्वीकार करते हैं कि हम वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ नहीं हैं। हम वित्तीय प्रभावों का अनुमान नहीं लगा सकते हैं। ये मुद्दे नीतिगत फैसलों के दायरे में हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सरकार का काम है कि वह स्थिति का आकलन कर उचित निर्णय ले।
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