🔹 नरेंद्र भाले 🔹
दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु के लिए करो या मरो का मैच था। दिल्ली को फायदा तो था ही बेंगलुरु भी बेहद कम अंतर से हारने के बावजूद भी फायदे में ही रहती।निरंतरता की मिसाल बने हुए देवदत्त ने उम्दा आगाज किया और 40 गेंदों में अर्धशतक बना गए । जबकि फिलिप्पी ने इस बार निराश किया। कोहली (29) ने एनरिच के हाथों जीवनदान मिलने के बावजूद बेहद खराब शॉट खेला और अश्विन की गेंद पर स्टोइनिस को कैच दे बैठे। भरोसेमंद डिविलियर्स (35) का राहणे के अचूक थ्रो पर रन आउट होना एक तरह से टर्निंग प्वाइंट रहा।माॅरिस (0) को एनरिच ने और शिवम दुबे (17) को रबाडा़ ने वापस भेज कर स्कोर बोर्ड का दम निकाल दिया।
अश्विन ने धीमे विकेट पर उससे भी धीमी गेंदबाजी कर कोहली का विकेट तो निकाला ही अपने चार ओवर में मात्र 18 रन दिए। राजधानी एक्सप्रेस एनरिच (3) और रबाडा़(2) ने उनका शानदार साथ निभाया। ऐसा एक बार भी महसूस नहीं हुआ कि बेंगलुरु अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है।
जवाबी हमले में पृथ्वी शाॅ (9) एक बार फिर पंक्चर हो गए। इसके बाद शिखर धवन और अजिंक्य राहणे ने इस नुकसान को बड़े आराम से पाट दिया। राहणे ने थोड़ा समय लिया जबकि धवन ने शुरुआत से ही लयबद्ध बल्लेबाजी करते हुए स्कोर बोर्ड को चलायमान रखा। ऐसा लग रहा था कि मैच 17 ओवर में ही खत्म हो जाएगा लेकिन शाहबाज अहमद ने अपनी फिरकी में धवन(54) और श्रेयस अय्यर (7) को एवं वाशिंगटन सुंदर ने राहणे(60) को चलता कर मैच में वापसी के भरपूर प्रयास किए।
विशेष रूप से जमें हुए राहणे और श्रेयस अय्यर बेहद खराब शॉट खेलकर आउट हुए, इसके फलस्वरूप बचे हुए रन 18 वे ओवर में आए इसका सीधा फायदा हार के बावजूद बेंगलुरु को मिला और वे दिल्ली के साथ-साथ प्लेऑफ में पहुंच गए जहां मुंबई पहले से ही उनका इंतजार कर रही है। अंतिम लीग मैच में निर्णय होगा कि चौथी टीम हैदराबाद होगी या फिर कोलकाता।खैर यह तो भाग्य का ही खेल है कि बेहद खराब खेल कर हारने के बावजूद विराट की टीम प्लेऑफ में पहुंच तो गई लेकिन आगे नाॅक आउट है और लचर प्रदर्शन के कारण संकट के बादल इन दोनों ही टीमों पर मंडरा रहे। विशेष रुप से बेंगलुरु एक हार और खिताब की दौड़ से बाहर। अब वह समय आ गया है अभी नहीं तो कभी नहीं।