लंदन के डिप्टी मेयर को भी अंदर जाने से रोका।
इंदौर : जो प्रवासी भारतीय लाखों रुपए खर्च कर हजारों किमी लंबा सफर तय करके प्रवासी भारतीय सम्मेलन में शिरकत करने आए हैं, उन्हें ही अव्यवस्था और रूखे बर्ताव का सामना करना पड़ रहा है। सम्मेलन के पहले दिन 8 जनवरी को पंजीयन को लेकर उन्हें बदइंतजामी का शिकार होना पड़ा तो दूसरे दिन कई प्रवासी अतिथियों को हॉल में ही प्रवेश नहीं करने दिया गया। जो हॉल में चले गए, उनमें भी अनेक मेहमानों को सीट नहीं मिली। मजबूरी में उन्हें नीचे कारपेट पर बैठना पड़ा।
लंदन के डिप्टी मेयर को भी रोका गया।
बताया जाता है कि पीएम नरेंद्र मोदी और दो देशों गुयाना व सूरीनाम के राष्ट्रपतियों के आगमन के चलते ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर के ग्रैंड हॉल में तय समय से डेढ़ घंटे पहले ही एंट्री रोक दी गई। प्रवासी अतिथियों को पंजीयन हॉल में ही बैठाकर उनसे कहा गया कि वे स्क्रीन पर ही प्रोग्राम देखें। लंदन के डिप्टी मेयर (बिजनेस) राजेश अग्रवाल सुबह 9.45 पर आयोजन स्थल पर पहुंचे। उन्हें भी मुख्य समारोह में जाने से रोक दिया गया जबकि वे अति विशिष्ट मेहमानों की श्रेणी में आते हैं।अग्रवाल करीब 15 मिनट तक अंदर जाने के लिए जद्दोजहद करते रहे। मीडिया के कुछ साथियों ने उन्हें पहचाना और सुरक्षाकर्मियों से कहा भी पर वे कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। राजेश अग्रवाल ने उन्हें मिला विदेश मंत्रालय का आमंत्रण पत्र भी दिखाया। बड़ी देर बाद उन्हें दूसरे गेट से अंदर दाखिला मिला। सूत्रों के मुताबिक खास बात ये है कि अग्रवाल का नाम उन अतिथियों में शामिल था जिनके साथ प्रधानमंत्री दोपहर में भोजन करने वाले थे।
हॉल में प्रवेश नहीं मिलने पर प्रवासी अतिथियों ने सख्त नाराजगी जताई। इनमें स्पेन से आए जगदीश फोबियानी और नाइजीरिया से आए देवेश कुमार मिश्रा शामिल थे। जमैका से आया प्रवासी भारतीयों का दल भी अव्यवस्था और हॉल में इंट्री नहीं दिए जाने से नाराज नजर आया।
मीडिया के समक्ष और सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी।
मुख्य समारोह में प्रवेश से वंचित किए गए प्रवासी अतिथियों ने मीडियाकर्मियों के समक्ष और सोशल मीडिया पर खुलकर अपना आक्रोश जताया। उनका कहना था कि जो सरकार तीन हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था नहीं कर सकती, वह ग्लोबल पॉवर बनने की बात कैसे कर सकती है।
क्या ऐसा होता है अतिथि देवो भव..?
अमेरिका से आई जुली जैन ने मीडिया के समक्ष खुलकर अपनी नाराजगी जताई। उनका कहना था कि वे सुबह साढ़े आठ बजे हॉल पर पहुंच गई थी पर उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। कहा गया की अंदर जगह नहीं है आप बाहर टीवी पर देखिए। क्या हम अमेरिका से लाखों रूपए खर्च कर टीवी पर देखने – सुनने आए हैं..? जुली ने कहा कि पीएम मोदी को लाइव देखने – सुनने को लेकर वे रोमांचित थी पर उनके साथ जो बर्ताव किया गया वो बेहद अपमान जनक था। क्या अतिथि देवो भव ऐसा होता है..?
सरकार को समुचित व्यवस्थाएं करना थी।
एक अन्य प्रवासी भारतीय महिला का कहना था कि हम पंजीयन करवाकर भारत सरकार के बुलावे पर सम्मेलन में आए हैं। सरकार को पता था इतने लोग आ रहे हैं तो उस लिहाज से व्यवस्थाएं जुटाई जाना थी। उन्हें सफाई में जो भी दलीलें दी गई वे स्वीकारने योग्य नहीं हैं।