3 मई से डॉक्टर्स की प्रदेशव्यापी हड़ताल

  
Last Updated:  May 2, 2023 " 02:02 pm"

प्रदेश के सभी 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े 10 हजार डॉक्टर्स हड़ताल में होंगे शामिल।

जेडीए ने भी दिया हड़ताल को समर्थन।

स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने के आसार ..!

प्रमुख मांगों पर सरकार की असहमति के बाद लिया हड़ताल का निर्णय।

एमवाय अस्पताल में काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन।

इंदौर : प्रदेश सरकार द्वारा प्रमुख मांगों को लेकर असहमति जताने के बाद चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर प्रदेश के लगभग 10 हजार डॉक्टर्स बुधवार 3 मई से कामबंद हड़ताल करने जा रहे हैं।हड़ताल में प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों के डॉक्टर्स, स्वास्थ्य विभाग और ईएसआई के चिकित्सक शामिल होंगे। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है। इससे प्रदेश भर में स्वास्थ्य सेवाएं ठप होने के आसार बन गए हैं।

काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन।

इसके पूर्व मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के आह्वान पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के तमाम मेडिकल टीचर्स (सीनियर डॉक्टर्स) और जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को भी एमवाय अस्पताल परिसर में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की।

मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, इंदौर के अध्यक्ष डॉ. अरविंद घनघोरिया और सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि चिकित्सक महासंघ के बैनर तले चिकित्सकों की लंबित मांगों को लेकर बीती 17 फरवरी को प्रदेशव्यापी आंदोलन किया गया था पर मुख्यमंत्री के निर्देश और आश्वासन पर उस समय आंदोलन स्थगित कर दिया गया। बाद में
चिकित्सकों के सभी संवर्गों के लिए डीएसीपी योजना लागू करने को लेकर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य, मप्र की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया।

समिति की कई दौर की बैठकों और विचार मंथन के बाद चिकित्सक महासंघ की सहमति से तैयार प्रतिवेदन, बीती 31 मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ को आगामी कार्रवाई हेतु प्रेषित किया गया था लेकिन सरकार अपनी ही सहमति से पीछे हट गई। इसके चलते चिकित्सकों को पुनः हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उनका कहना है कि डॉक्टर्स की तीन प्रमुख मांगे हैं, जिनपर सरकार असहमति जता रही है। इनमें अन्य राज्यों के समान उच्च वेतनमान, ओल्ड पेंशन स्कीम दुबारा लागू करना और मेडिकल कॉलेजों में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति पर रोक लगाना शामिल हैं।

डॉ. घनघोरिया और डॉ ठाकुर ने बताया कि सरकार बाद में डीएसीपी सहित प्रमुख मांगों से पीछे हट गई। इसके चलते उन्हें पुनः हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा है। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार प्रोग्रेसिव वेतनमान, ओल्ड पेंशन स्कीम और प्रशासनिक अधिकारियों की मेडिकल कॉलेजों में नियुक्ति पर रोक जैसी मांगों को पूरा करें तो हड़ताल वापस ली जा सकती है।

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