तंबाकू उत्पाद पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को पहुंचाते हैं भारी नुकसान

  
Last Updated:  May 29, 2022 " 03:29 pm"

तम्बाकू उत्पाद और उसके कचरे से पर्यावरण पर हो रहे दुष्प्रभाव को लेकर विस्तृत रिपोर्ट जारी।

इंदौर : विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022 की थीम “तंबाकू: हमारे पर्यावरण के लिए खतरा” पर मध्य प्रदेश वालंटरी हेल्थ एसोसिएशन एवं स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. द्वारा परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एसोसिएशन ने तंबाकू उत्पाद कचरे-अपशिष्ट का पर्यावरण पर बोझ अध्ययन की चौकाने वाली राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक फैक्ट शीट भी जारी की।

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर स्थानीय होटल अमर विलास में आयोजित परामर्श कार्यक्रम में मध्य प्रदेश वालंटरी हेल्थ एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने रिपोर्ट जारी की। उन्होंने बताया कि यह अध्ययन आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज जोधपुर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च यूनिट द्वारा द यूनियन के तकनीकि एवं मध्य प्रदेश वालेंटरी हेल्थ एसोसिएशन के प्रदेश स्तरीय सहयोग से देश के 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 33 जिलों में किया गया। अध्ययन में 200 तम्बाकू उत्पादों के पैकेट-पाउच को देश के विभिन्न जिलों से इकठ्ठा किया गया जिसमे 70 सिगरेट ब्रांड, 94 बीड़ी ब्रांड और 58 धूम्ररहित तंबाकू ब्रांड शामिल थे। सुनिश्चित किया गया कि देश भर के सभी हिस्सों का प्रतिनिधित्व मिले। इन तम्बाकू उत्पादों की पैकेजिंग में मौजूद प्लास्टिक, कागज, पन्नी और फिल्टर सामग्री का वजन लिया गया और उसे वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण 2016-17 के डाटा से सह-संबद्ध किया गया।

तंबाकू उद्योग पर्यावरण को पहुंचाता है भारी नुकसान।

रिपोर्ट में बताया गया कि विश्व में 84 मेगाटन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्पादन के साथ, तंबाकू उद्योग, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। विश्व में हर साल तंबाकू उगाने के लिए लगभग 3.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि नष्ट हो जाती है। खासकर विकासशील देशों में तंबाकू उगाने के लिए वनों की कटाई की जाती है जिसके कारण मिट्टी का क्षरण होता है और फसलों को नुकसान होता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने की। श्री खारीवाल ने कहा कि तम्बाकू-सिगरेट व्यवसाय जैसे शक्तिशाली व्यावसायिक समूह से मुकाबले के लिए सामाजिक चेतना और इस तरह के वैचारिक आयोजन बेहद जरूरी हैं। सरकार को चाहिए कि वह टैक्स के लालच में आकर प्रतिवर्ष लाखों जानों से खेलना बंद करे। इस अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी प्रीतमलाल दुआ, प्रो. बी के निलोसे, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ. बी के सत्या, जिला नोडल अधिकारी तम्बाकू नियंत्रण डॉ. अमित मालाकार, कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एस एस नय्यर, डॉ. एम एस गुजराल, डॉ. दिलीप आचार्य, दन्त चिकित्सक डॉ. वेदप्रकाश जलीली, डॉ. बी एम श्रीवास्तव, जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास, पूर्व कुलपति डॉ. नरेन्द्र धाकड़, पर्यावरणविद पद्मश्री भालू मोंढे, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पी वाय पांडे, पूर्व हेल्थ डायरेक्टर पी.के बजाज, पूर्व लोक अभियोजन अधिकारी विमल छाजेड़, सांसद प्रतिनिधि कृष्णकांत रोकड़े आदि उपस्थित थे। विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि जैसे केंसर विशेषज्ञ, पर्यावरणविद, कानून विशेषज्ञ, शिक्षाविद एवं मीडियाकर्मियों ने एकमत होकर सुझाव दिया कि तम्बाकू उत्पादों पर वित्तीय भार बढ़ाए जाने की जरुरत है साथ ही ऐसी नीतियां बनाने की जरुरत है जो कचरे के इस बोझ को कम करे। यह सुझाव भी आया कि ठोस अपशिष्ट-पैकेजिंग के मौजूदा पर्यावरण कानूनों और संबंधित नीतियों के उल्लंघन की कड़ाई से निगरानी, रिपोर्टिंग और विनियमन किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके। पर्यावरण और मानव शरीर पर प्लास्टिक के अपरिवर्तनीय प्रभाव को देखते हुए तंबाकू उत्पादों से उत्पन्न अनावश्यक प्लास्टिक कचरे के प्रभावी उन्मूलन के लिए नीतिगत बदलाव की जरुरत है। इसके साथ ही तम्बाकू नियंत्रण कानून का प्रभावी क्रियान्वयन और तम्बाकू उत्पाद बेचने वालों के लिए वेंडर लाइसेंसिंग अत्यंत जरुरी है।

कार्यक्रम का संचालन मुकेश कुमार सिन्हा ने किया। कार्यक्रम अधिकारी बकुल शर्मा ने स्लाइड प्रजेंटेशन दिया। वरिष्ठ पत्रकार रचना जौहरी ने आभार व्यक्त किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह सोनाली यादव, गणेश एस चौधरी, अभिषेक सिसोदिया और अनिल तिवारी ने भेंट किए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी और स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के सदस्य मौजूद थे।

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