4 गुना बढ़ गई है दिल के मरीजों की संख्या- डॉ. राव

  
Last Updated:  September 29, 2019 " 05:42 pm"

इंदौर : दिल (हार्ट) हमारे शरीर का वो अंग है जो जिंदगी के सफर को बनाए रखता है। ये नासाज हो जाए तो जिंदगी भी हिचकोले खाने लगती है।
पर हम इतने लापरवाह हो गए हैं कि सांसों की डोर थामे रखनेवाले दिल का भी खयाल नहीं रखते। बदलती जीवनशैली, जंक फूड का बढ़ता चलन और शारीरिक श्रम के अभाव में दिल के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। यहां तक कि युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। भारत में हर तीसरे व्यक्ति की मौत दिल का दौरा पड़ने से होती है। रविवार 29 सितम्बर को विश्व ह्रदय दिवस पर अपोलो हॉस्पिटल द्वारा इंदौर प्रेस क्लब के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में दिल की बीमारी के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई गई। इस दौरान लोगों में दिल की बीमारी को लेकर जागरूकता बढाने पर भी जोर दिया गया। सांसद शंकर लालवानी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। एडीजी वरुण कपूर, इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी और महासचिव नवनीत शुक्ला विशेष अतिथि के बतौर मौजूद रहे।
एडीजी वरुण कपूर ने सेहत के साथ अन्य क्षेत्रों में भी जागरूकता लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सब सूचना क्रांति के युग में रह रहे हैं। इंटरनेट के जरिये सोशल माध्यमों का उपयोग हर व्यक्ति करता है पर सायबर सुरक्षा को लेकर हम जागरूक नहीं है। किसी बड़ी मुसीबत में फंसने से अच्छा है कि हम जागरूकता बरते। एडीजी ने प्रलोभन से बचने और नशे की लत से दूर रहने की भी बात कही।

बेसिक लाइफ सपोर्ट की दी गई जानकारी।

कार्यक्रम में खास तौर पर मौजूद कार्डियोलोजिस्ट डॉ. के. सरिता राव ने दिल की बीमारी के कारण और बचाव पर प्रकाश डालने के साथ दिल का दौरा पड़ने पर बेसिक लाइफ सपोर्ट देकर किस तरह मरीज की जान बचाई जा सकती है इसकी विस्तृत जानकारी दी। इसी के साथ बेसिक लाइफ सपोर्ट का लाइव डिमोन्सट्रशन भी दिया गया। डॉ. के सरिता राव ने कहा कि दिल की बीमारी से मरनेवालों की संख्या 4 गुना बढ़ चुकी है। अगर हम अभी भी नहीं चेते तो हालात भयावह हो सकते हैं। उन्होंने खानपान की आदतों में बदलाव लाने के साथ व्यायाम को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने, और बीपी व शुगर कंट्रोल पर भी जोर दिया।उनहाने कहा कि बेसिक लाइफ सपोर्ट की जानकारी सभी को होनी चाहिए इससे कई लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं। डॉ. राव ने कहा कि दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को जमीन पर लिटाएं और एम्बुलेंस को कॉल करने के साथ अंगूठे से गले की साइड में पल्स चेक करें। सांस चल रही है या नहीं यह देखें। बाद में सीने के बीच हाथों से पम्पिंग करें। एक मिनट में 100 बार तक ये क्रिया दोहरानी चाहिए। बीच बीच में मुंह से सांस भी देते रहें। अगर एसिडिटी बार- बार हो तो ईसीजी करवा लें। शुगर के मरीज को हार्ट अटैक में दर्द नहीं होता। उन्हें पसीना आता है और सांस फूलने लगती है। डॉ. राव ने घर में सोर्बिट्रेट और डिस्प्रिन रखने की भी बात कही। दिल का दौरा पड़ने पर ये टेबलेट्स कारगर सिद्ध होती है।
कार्यक्रम में देर से पहुंचे सांसद शंकर लालवानी ने भी विचार रखे।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में ‘हेल्दी हैबिट्स फ़ॉर हेल्दी हार्ट, फॉलो रूल्स फ़ॉर हेल्दी ट्रैफिक’ विषय पर स्कूली बच्चों के लिए स्पर्धा भी रखी गई जिसमें बच्चों ने तार्किक ढंग से अपनी बात रखी।
कई विशिष्टजन, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग और एनसीसी कैडेट्स भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

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