भविष्य में एआई का इंपैक्ट कितना होगा यह कहना कठिन है, लेकिन ह्यूमन क्रिएटिविटी की जगह हमेशा रहेगी।
इंदौर : ख्यात वॉइस आर्टिस्ट, बिग बॉस फेम और एक्टर विजय विक्रम सिंह का कहना है कि आपके शब्द आपकी सोच और समझ के परिचायक हैं। वैसे मस्तिष्क और जीभ के बीच दूरी कम है लेकिन फिर भी हम बिना सोचे- समझे बोलते हैं, जबकि आपके शब्द आपके व्यक्तित्व और कार्य के परिचायक होते हैं।
चेहरे के भाव और व्यक्तित्व से आत्मविश्वास झलकता है।
स्टेट प्रेस क्लब,मप्र के कार्यक्रम ‘रूबरू’ में मीडिया से चर्चा करते हुए विजय विक्रम सिंह ने ये बात कही। उनका कहना था कि सोशल मीडिया में या कहिए जीवन में वे ही बातें आगे तक जाती है जिनमें सच्चाई होती है। व्यक्ति के चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज से आपका आत्मविश्वास और अभ्यास दोनों झलकता है। जीवन में कुछ मोड़ आपको गलत आदतों की तरफ ले जाते हैं लेकिन गलतियों से हमें सीखना चाहिए। बिग बॉस में दी आवाज से बनीं पहचान।
उन्होंने बताया कि वे सेना में जाना चाहते थे। सर्विस सिलेक्शन बोर्ड में चयन नहीं हुआ। इसके बाद निगेटिविटी के शिकार हुए लेकिन बाद में जीवन के मकसद को पहचान करके कॉर्पोरेट एवं पब्लिक सेक्टर में जिम्मेदार पदों पर रहे। पहले उन्हें यह भी नहीं पता था कि एक्टिंग में आएंगे। कभी वॉइस ओवर आर्टिस्ट बनेंगे। शादी के बाद पत्नी से प्रोत्साहन मिला तो वे नौकरी छोड़कर क्रिएटिविटी में उतर आए। उन्होंने बताया कि बिग बॉस की आवाज के तौर पर उनकी पहचान बनीं। उन्होंने फैमिली मैन, स्पेशल ऑप्स, मिर्जापुर 2 जैसी वेबसीरीज और छावा जैसी बड़ी फिल्मों में भी काम किया है। विजय विक्रम सिंह ने बताया कि एक रिकॉर्डिंग के दौरान उन्हें साउंड इंजीनियर ने कहा कि आवाज तो बहुत अच्छी है, लेकिन मेहनत करनी पड़ेगी। तो मैंने आवाज और मेहनत को पकड़ लिया। वहां से मेहनत का जो सफर शुरू हुआ वो आज भी जारी है। आवाज को परिष्कृत करने के लिए प्रशिक्षण की जरूरत।
वॉइस ट्रेनिंग के बारे में सिंह ने कहा कि आवाज में बनावटी भारीपन की जगह असली वजन होना चाहिए। ये सही है की आवाज कुदरत की देन है लेकिन आपकी आवाज अच्छी है तो इसे और तराशना भी जरूरी है। आपकी आवाज आपका अंदाज यह आपकी सिग्नेचर है। इसलिए आवाज के साथ-साथ भाषा पर भी नियंत्रण आवश्यक है। एक भाषाविद को भी एथलीट जैसा ही अपने आप को ट्रेंड करना होता है। फर्स्ट इंप्रेशन की जगह हमेशा एवर्लास्टिंग इंप्रेशन आपकी प्राथमिकता होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब वॉइस माड्यूलेशन गले की जगह दिल से होगा तो वह असली लगेगा। आपकी आवाज में, आपके शब्दों में आपके पढ़ने समझने और बोलने का अभ्यास है। आपके शब्दों का उतार चढ़ाव आपके विचारों का प्रवाह है। और एक्टिंग की यदि बात की जाए तो किसी किरदार में आपको अपने आप को इन्वेस्ट करना पड़ता है। लोग हमेशा कहते हैं कि पॉजिटिव बने रहिए। इसका मतलब यह है कि नेगेटिविटी को ज्यादा देर तक अपने कंधे पर नहीं रखना है। पॉजिटिव रहने का मतलब यह भी नहीं है कि हमेशा इमोशनल और भावुक बने रहे।
विजय विक्रम सिंह ने साउंड ट्रेनिंग के बारे में भी गहराई से बातचीत की। उन्होंने कहा कि डिक्शन इज साइंस ऑफ़ साउंड इसलिए हिंदी की वर्णमाला को जोर से सही उच्चारण के साथ में पढ़ना और बोलना जरूरी है। इससे आपका उच्चारण सही होगा। अपनी आवाज को रिकॉर्ड कीजिए।आपको स्वयं समझ आएगा की गलतियां कहां हो रही है। अपनी आवाज को अपनी इमेज के बाहर निकालिए।
प्रारम्भ में विजय विक्रम सिंह का स्वागत स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, महासचिव सुनील अग्रवाल, पंकज क्षीरसागर एवं दीपक माहेश्वरी ने किया। कोषाध्यक्ष सोनाली यादव ने स्मृति चिन्ह और गोविन्द लाहोटी ने कैरीकेचर भेंट किया। संचालन पुष्कर सोनी ने किया।