इंदौर : नौ दिनों तक मां दुर्गा की भक्तिभाव के साथ आराधना करने के बाद सोमवार को उन्हें भावभीनी विदाई दी गई। मंदिरों में जहां दर्शन- पूजन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रही वहीं सार्वजनिक पांडालों में गरबों का उल्लास छाया रहा। कई पांडाल ऐसे थे जहां गुजरात से आई मण्डलियों ने पूरे नौ दिनों तक मनोहारी गरबे पेश किए। ऐसा ही एक पांडाल था देवी अहिल्या गरबा मण्डल का। महेश शर्मा (मुन्ना भैया) और उनके साथी 40 वर्षों से पीवाय रोड़(मच्छी बाजार) चौराहे पर मंच सजाकर नवरात्रि के दौरान गरबों का आयोजन कर रहे हैं। शुरू में स्थानीय बालिकाएं ही यहां गरबा पेश करती थी। बाद में आयोजन का स्वरूप बड़ा हुआ तो अहमदाबाद से गरबा मण्डलियां आकर प्रस्तुति देने लगी। बीते 17 वर्षों से तो अहमदाबाद का स्वर कृति ग्रुप ही यहां गरबों की बानगी पेश कर रहा है। नैना मेहता और जय मेहता इसके संचालक हैं।
जय बताते हैं कि यहां आकर गरबों की प्रस्तुति देना उन्हें अच्छा लगता है। इस बार वे 30 बालक- बालिकाओं के ग्रुप के साथ आए थे।
पारंपरिक गरबों के साथ दी कई विशेष प्रस्तुतियां।
जय मेहता के अनुसार इस बार पारम्परिक गरबों के साथ उन्होंने कई विशेष प्रस्तुतियां भी दी। इनमें गणेश वंदना, होली गरबा, महिषासुर मर्दिनी, कृष्णा लीला, शिव तांडव जैसी नृत्य नाटिकाएं शामिल थीं। इसके अलावा राजस्थानी लोकनृत्य और महाराष्ट्र की लावणी की भी खास तौर पर पेश की गई। जय का कहना है कि लोगों का जो रिस्पॉन्स यहां मिलता है वो अद्भुत है। वे आगे भी यहां आते रहेंगे।