पिता को मुखाग्नि दी और फिर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में जुट गए विवेक श्रोत्रिय

  
Last Updated:  May 4, 2021 " 02:23 pm"

प्राधिकरण अध्यक्ष विवेक श्रोत्रिय की कलेक्टर से लेकर कमिश्नर तक कर रहे सराहना।

🔹कीर्ति राणा इंदौर।

मप्र के आईएएस अधिकारियों को अपने साथी विवेक श्रोत्रिय की कर्म निष्ठा पर जितना गर्व है उससे कहीं अधिक सराहना तो इंदौर के जनप्रतिनिधि, मीडिया और उन्हें निकट से जानने वाले कर रहे हैं। जानते हैं क्यों, कोरोना संक्रिमत उनके पिता प्रभुदयाल श्रोत्रिय की ग्वालियर में तबीयत बिगड़ने के बाद 19 अप्रैल को इंदौर लाकर अस्पताल में दाखिल किया गया था।24 घंटे में से हर रोज 15 मिनट ही निकाल पाते थे पिता के लिए, उनकी दीर्घायु की प्रार्थना करते और पुनः राधास्वामी व्यास वाली जमीन पर बनाए गए कोविड सेंटर में दूसरे चरण में 600 बेड और बढ़ाने संबंधी कलेक्टर के निर्देश का पालन करने में जुटे रहते।
कोरोना गाइड लाइन के पालन के अंतर्गत सोमवार की सुबह जीएसआईटीएस के कुछ कॉलेज जमाने के दोस्तों, कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अरविंद तिवारी आदि की मौजूदगी में सुबह विजय नगर मुक्तिधाम पर पिता को अंतिम विदाई देकर फिर कोविड सेंटर में दाखिल मरीजों की देखभाल में जुट गए।उनके भाई संजय भी इंदौर में दाखिल थे जिनकी छुट्टी हो गई है।पत्नी के परिवार के सदस्य भी संक्रमित, चाची, मां, बड़ी बहन भी संक्रमित है। ऐसे बुरे वक्त में उनका परिवार के साथ रहना जरूरी तो था लेकिन हजारों मरीजों की चिंता पहले की, बीमार परिजनों को बीस दिन तक फोन पर ही हौंसला देते रहे।
वेदांता हॉस्पिटल के आईसीयू में दाखिल पिता की हालत बिगड़ी,ऑक्सीजन लेवल 95 से घटकर 75-80 तक पहुंच गया। प्लाजमा चढ़ाने के लिए अरबिंदो में दाखिल करना पड़ा लेकिन श्रोत्रिय के लिए संभव नहीं था कि पूरे वक्त वहां रहते, भानेज दामाद डॉ संदेश सहित दोनों अस्पतालों के डॉक्टरों की टीम पर भरोसा था।इंफेक्शन फैलता जा रहा था, दिन में जब भी वक्त मिलता कोविड मरीजों वाले आईसीयू में दाखिल पिता जब तक बोलने-सुनने की स्थिति में रहे उनका हौंसला बढ़ाते और समझाते कि आप की हालत तो ठीक है सैंकड़ों लोगों को तो बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं, उन्हें बताते कि मुझे जिस कोविड सेंटर का काम मिला है वहां कैसे काम हो रहा है।
पिता खुश थे बेटे की मेहनत से।
इंदौर विकास प्राधिकरण सीईओ श्रोत्रिय पर कलेक्टर ने तो काम सौंप ही रखा था, संभागायुक्त डॉ पवन शर्मा ने भी एसएसएच में बिगड़ती स्थिति को दुरुस्त करने के लिए इस अस्पताल सहित एमटीएच आदि का भी प्रशासनिक प्रभारी बना रखा है।एडिशनल एसपी पद से रिटायर और भिंड पुलिस लाइन में श्रमदान से मंदिर बनवा चुके पिता उनसे कहते थे तुम्हें ईश्वर ने सेवा लायक समझा है तभी इतने काम कर रहे हो।कलेक्टर से लेकर अन्य सहयोगी अधिकारी कहते रहे कि तुम पिताजी की देखभाल कर लो, लेकिन उनका जवाब रहता था मैं जितना वक्त देता हूं उसमें प्रार्थना की अपेक्षा सेवा करना बेहतर लगता है।

पीपीई किट कैसे पहने यह पता नहीं था।

गहन चिकित्सा इकाई में दाखिल पिता की खैरियत जानने के लिए पीपीई किट पहन कर जाते थे लेकिन इसे ठीक से पहनाना भी डॉ संदेश ने सिखाया।विवेक श्रोत्रिय चूंकि कोविड-19 में मल्टी टॉस्क वाली भूमिका में हैं इसलिए अस्पतालों ने भी कोरोना वार्ड में उनकी आवाजाही पर रियायत बरती वरना विभिन्न अस्पतालों में दाखिल मरीजों से उनके परिजन कहां मिल पाते हैं।

दूसरे ऐसे आईएएस।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में कोरोना काबू करने को लेकर संकल्पित हैं तो उसकी वजह विवेक श्रोत्रिय, मनोज पुष्प जैसे कर्मनिष्ठ अधिकारियों का फील्ड में सक्रिय रहना भी है। मंदसौर कलेक्टर मनोज पुष्प ने भी अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के तुरंत बाद मोर्चा संभाल लिया था। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से वीसी के दौरान उनकी तारीफ भी की थी।
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🔺कमिश्नर बोले ‘आय जस्ट सैल्यूट हिम’

संभागायुक्त डॉ पवन शर्मा ने चर्चा में कहा मैं जब रविवार की शाम मेडिकल कॉलेज मीटिंग लेने पहुंचा तब सरकारी अस्पताल के ओवायसी के रूप में विवेक शामिल रहा। 7 बजे एसएसएच पहुंचा तो वहां भी था।ही इज ऑलवेज फुली डेडिकेटेड, आय जस्ट सैल्यूट हिम।मुझे फख्र है कि टीम में विवेक जैसे अधिकारी हैं।
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🔺सेवा का यह अवसर इमेज सुधारने को मिला है।

इविप्रा सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने कहा पिताजी मेरे काम से खुश थे, यह क्या कम है।मेरा मानना है इस महामारी से निपटने में ड्यूटी लगना एक तरह से इमेज सुधारने का अवसर मिलना है।वैसे ही शासकीय कर्मेमचारियों को लेकर आमजन ने कई तरह की धारणा बना रखी है, ऐसे में यदि ड्यूटी लगी है तो उसे ईश्वर की इच्छा मान कर काम करना चाहिए।

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