विभागीय निर्देशों के द्वारा नहीं लगाई जा सकती रोक।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई एवं न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की युगल पीठ ने अपने विस्तृत आदेश के जरिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया एवं केंद्र सरकार द्वारा देशभर में लगाए गए उस बैन को अवैधानिक करार दिया है, जिसके द्वारा देशभर में फार्मेसी कॉलेज खोलने पर 5 साल का बैन लगा दिया गया था| युगल पीठ ने अपने विस्तृत आदेश में कहा की विभागीय निर्देश जारी कर इस तरह से किसी को भी संस्थान खोलने से नहीं रोका जा सकता, जो कि संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 19(1) G के तहत मौलिक अधिकार है| यह विस्तृत फैसला कर्नाटका, छत्तीसगढ़ एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के विरुद् दायर की गई थी। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ से आधा दर्जन कॉलेजों के संबंध में भी अपील दायर हुई थी, जिन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी एवं अधिवक्त सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने मुख्य रुप से पैरवी की।
बता दे कि फार्मेसी कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया द्वारा वर्ष 2020 में नए फार्मेसी संस्थाओं मे देशभर में पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।। इसके अंतर्गत किसी भी सोसाइटी एवं संस्था को नए फार्मेसी कॉलेज खोलने की अनुमति नहीं थी। देश भर के कॉलेजों द्वारा विभिन्न राज्यों में फार्मेसी कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया के प्रतिबन्ध को चुनौती दी गई थी। पूर्व में नई दिल्ली, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ उच्य न्यायालय द्वारा इसको निरस्त भी कर दिया गया था, जिसके विरुद्ध सभी राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ से लगभग एक दर्जन कॉलेजों का प्रतिनिधित्व करते हुए अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता द्वारा तर्क दिया गया कि, निजी संस्थान स्थापित करना संविधान में मौलिक अधिकार है, जिसको विभागीय आदेशों व निर्देशों द्वारा छीना नहीं जा सकता। अधिनियम अथवा नियम में इसका प्रावधान होना आवश्यक है, इस के संबंध में नियम बनाए जाए एवं बिना अधिनियम एवं नियम में स्पष्ट प्रावधान के, किसी भी संस्थान को खोलने पर ऐसे रोक नहीं लगाई जा सकती जो त्रुटि पूर्ण है। श्री गुप्ता के तर्कों पर सुप्रीम कोर्ट की युगल पीठ ने अन्य राज्यों के कॉलेजों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद अंतिम आदेश पारित किया कि 5 वर्ष का प्रतिबंध असंवैधानिक है और निरस्त किया जाता है। आदेश के पश्चात अब कॉलेज, नए संस्थान खोलने हेतु जो आवेदन पूर्व में कर चुके थे स्वीकृति हेतु आगे की कार्रवाई करवा सकते हैं।