इंदौर : करीब 6 दिन पूर्व चिड़ियाघर से लापता हुआ तेंदुआ मंगलवार सुबह वन विभाग के रेस्ट हाउस के पास मिला। चिड़ियाघर और वन विभाग के अमले ने तेंदुए की मौजूदगी की सूचना मिलते ही तमाम संसाधनों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और जाल की मदद से उसे पकड़ लिया। बाद में बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसे चिड़ियाघर ले जाया गया। जख्मी होने और 6 दिन से भूखा होने के कारण वह काफी कमजोर हो गया था। अब चिड़ियाघर में उसका सम्पूर्ण इलाज किया जाएगा।
नेपानगर से रेस्क्यू कर लाया गया था इंदौर।
6 से 8 माह का यह तेंदुआ मादा होकर नेपानगर से रेस्क्यू कर इंदौर लाया गया था। बताया जाता है कि वह जख्मी हालत में था।
चिड़ियाघर में चलाया था सर्चिंग ऑपरेशन।
वन विभाग के कर्मचारी पिजरे में बंद तेंदुए को चिड़ियाघर में छोड़कर चले गए थे। अगले दिन जब पिंजरे से तिरपाल हटाई गई तो पिंजरा खाली था। माना यही जा रहा था कि तेंदुआ चिड़ियाघर परिसर में ही है। इसके चलते बीते 5 दिनों से लगातार चिड़ियाघर में सर्चिंग की जा रही थी पर उसका कोई सुराग नहीं मिला था। इस दौरान आम लोगों का चिड़ियाघर में प्रवेश भी बंद कर दिया गया था।
वन विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में।
तेंदुए के पिंजरे से लापता होने को लेकर चिड़ियाघर प्रशासन और वन विभाग एक- दूसरे पर दोषारोपण कर रहे थे। चिड़ियाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव का दावा था कि तेंदुआ इंदौर लाते समय रास्ते में ही पिजरे से निकल गया होगा। जबकि वन विभाग का कहना था कि उसके कर्मचारी पिजरे को जब चिड़ियाघर में छोड़ गए थे, तब तेंदुआ पिंजरे में ही मौजूद था। वह चिड़ियाघर से ही लापता हुआ था। वनमंत्री विजय शाह ने भी इस घटना का संज्ञान लिया था और तेंदुए का जल्द से जल्द पता लगाकर उसे पकड़ने के निर्देश दिए थे। हालांकि तेंदुए के नवरतन बाग स्थित वन विभाग के रेस्ट हाउस के पास से पकड़े जाने के बाद वन विभाग की भूमिका पर संदेह होने लगा है। माना जा रहा है कि तेंदुए को पहले वन विभाग के रेस्ट हाउस ले जाया गया होगा, वहीं तेंदुआ पिंजरे से निकल गया। वन विभाग ने अपनी गलती छुपाने के लिए खाली पिंजरा चिड़ियाघर में खड़ा करवा दिया। चिड़ियाघर प्रशासन की लापरवाही भी इसमें सामने आई। उसने यह देखने का प्रयास ही नहीं किया कि पिजरे में तेंदुआ है या नहीं।
बहरहाल, तेंदुए के पकड़े जाने से सभी ने राहत की सांस ली है। मादा तेंदुए के स्वस्थ्य होने के बाद उसे पुनः जंगल में छोड़ दिया जाएगा।