भोपाल : लोकसभा चुनाव 2019 में कालेधन के लेनदेन को लेकर सियासत गरमा गई है। जिन विधायकों के नाम केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट में आए हैं, वे कांग्रेस के हों या बीजेपी के, सभी के स्वर एक समान हो गए हैं। उनका कहना है कि यह हमें बदनाम करने की साजिश है। सत्ता दल और विपक्ष दोनों के नेताओं का नाम होने से सरकार कार्रवाई पर फैसला नहीं ले पा रही है। भाजपा नगरीय निकाय चुनाव में इसे मुद्दा बनाने जा रही थी, उससे पहले ही कांग्रेस ने पुरानी रिपोर्ट उछालकर मामला फिफ्टी-50 बनाने की कोशिश तेज कर दी है।
बीजेपी-कांग्रेस के संदेही नेताओं ने आरोप से बचने के लिए एक स्वर में कहा कि यदि हमने चुनाव में पैसा लिया है तो जांच एजेंसियों ने अब तक नोटिस क्यों नही दिया? पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बयान भी कुछ इसी लाइन पर आया है। इसको लेकर सरकार भी सांसत में है। दरअसल, इस मामले में शिवराज सरकार के 2 मंत्री और 11 विधायक भी फंस रहे हैं, जो कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं।
सीबीडीटी की रिपोर्ट में तत्कालीन कमलनाथ सरकार के मंत्री सहित 64 विधायकों के नाम हैं। इनमें से 13 विधायक रिपोर्ट आने से पहले बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। पार्टी बदलने के बाद भी उनके स्वर, रिपोर्ट पर कांग्रेस जैसे ही हैं।
इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का बयान आ चुका है, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिक्रिया नहीं आई है, जबकि बीजेपी के 13 में से 8 विधायक (इसमें से दो प्रद्युमन सिंह तोमर और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव मंत्री हैं) सिंधिया समर्थक हैं।
इस रिपोर्ट में सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम नहीं है, लेकिन दिग्विजय सिंह पर लोकसभा चुनाव में 90 लाख रुपए मिलने के आरोप हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि हर तरह की जांच के लिए तैयार हूं। साथ ही, सवाल खड़ा किया – यह कैसी जांच है, अभी तक मुझे एक भी नोटिस देकर बयान नहीं लिए गए। दिग्विजय जैसा ही बयान सिंधिया के कट्टर समर्थक शिवराज सरकार के मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने दिया है। तोमर ने कहा -यदि लेन-देन में हम शामिल हैं तो अब तक नोटिस क्यों नहीं दिया गया? शिवराज सरकार में उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने भी कहा कि आरोप झूठे हैं। हर तरह की जांच के लिए तैयार हूं।
क्या वे बीजेपी में आने के बाद पवित्र हो गए?
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने इस मामले में आगे की जांच की निष्पक्षता को लेकर बीजेपी से सवाल किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है – कमलनाथ को बदनाम करने की साजिश लोकसभा चुनाव के पहले रची गई थी। सीबीडीटी की कपोल-कल्पित रिपोर्ट में शिवराज सरकार में सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों और कई विधायकों के भी नाम आए हैं। क्या उन पर भी एफआईआर होगी? वे बीजेपी में आने के बाद पवित्र हो गए हैं?
CM की मुख्यसचिव से हो चुकी चर्चा।
मंत्रालय सूत्रों ने दावा किया है कि सीबीडीटी की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस तथा प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के साथ बैठक हो चुकी है। इसमें तय किया गया है कि विधि विभाग की राय लेने के बाद रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया जाएगा।
शिवराज ने कहा था – दोषी कोई भी हो, कार्रवाई होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में कहा है कि रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर दोषी कोई भी हो, वैधानिकता के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा बोले – कानून अपना काम करेगा।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि कमलनाथ के गोरखधंधों की वजह से ही इन नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी है। इस मामले में कोई भी लिप्त क्यों न हो, कानून अपना काम करेगा।