इंदौर : जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि स्कूलों को यह बताना होगा कि वह पालकों से जो फीस ले रहे हैं वह किस किस मद में ले रहे हैं, उसके अलग अलग हेड बताना होंगे। यह जानकारी स्कूलों से जिला शिक्षा समिति को लेना होगी इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग मप्र शासन को इस जानकारी को दो सप्ताह में अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा । सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर किसी पालक को स्कूल से कोई शिकायत है तो वह जिला समिति के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा। समिति को चार सप्ताह में शिकायत का निराकरण भी करना होगा। जागृत पालक संघ के सचिन माहेश्वरी, दीपक शर्मा, विशाल प्रेमी, स्व. देव खुबानी, प्रतीक तागड, धीरज हसीजा की तरफ से एडव्होकेट अभिनव मल्होत्रा, मयंक क्षीरसागर व चंचल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की।
मनमानी फीस वसूली का था मामला।
बता दें कि ट्यूशन फीस के नाम पर स्कूल संचालकों द्वारा मनमानी फीस वसूलने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था । इस मामले में जागृत पालक संघ के अध्यक्ष एडव्होकेट चंचल गुप्ता, सचिव सचिन माहेश्वरी व अन्य सदस्य जो लंबे समय से पालकों के हित में लड़ाई लड़ रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने पालकों को राहत देते हुए कहा कि किसी भी अभिभावक को स्कूल से कोई शिकायत है तो वह जिला समिति के सामने शिकायत करेगा और समिति को चार सप्ताह में इसका निराकरण करना होगा। पूर्व में पालकों के द्वारा की जाने वाली शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं होता था और अधिकार क्षेत्र नहीं होने का कहकर टाल देता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि निजी स्कूल केवल टयुशन फीस ले सकेंगे। अधिकांश स्कूल ट्यूशन फीस की आड़ में पूरी फीस ले रहे थे।
जागृत पालक संघ मनमानी फीस वसूली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया था, जिसमें यह मांग भी रखी गई की प्रशासन शिकायत पर सुनवाई नहीं कर रहा। इसी दौरान प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन ने भी एक याचिका लगाई, जिसमें मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान प्रदेश के लिए जो फैसला दिया है, उसके अनुसार निजी स्कूल पूरी फीस में से सिर्फ 15 प्रतिशत वापस देंगे। शेष पूरी फीस पालकों को देनी होगी। अधिवक्ता मयंक क्षीरसागर ने निजी स्कूलों की इस मांग पर आपत्ति लेते हुए उच्चतम न्यायालय से निवेदन किया कि पिछला सत्र पूरा बीत चुका है और निजी स्कूल एसोसिएशन ने अपनी याचिका में स्वीकार भी किया है कि वो आदेश को स्वीकारते हुए इस अनुसार फीस ले चुके हैं। इसलिए इस समय इस तरह की मांग अनुचित है ।
सुप्रीम कोर्ट ने उक्त तर्कों से सहमत होते हुए स्कूल एसोसिएशन की याचिका निरस्त कर दी।
वर्तमान सत्र की फीस को लेकर मप्र उच्च न्यायालय में लंबित है याचिका।
वर्तमान सत्र में भी ट्यूशन फीस के नाम पर ली जा रही पूरी फीस, वर्तमान सत्र में की गई फीस बढ़ोतरी, फीस के कारण पढ़ाई बंद करने, टीसी नहीं देने और परीक्षा परिणाम रोकने जैसी परेशानियों को लेकर जागृत पालक संघ ने अधिवक्ता अभिनव मल्होत्रा के माध्यम से मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई है जिस पर सितंबर के प्रथम सप्ताह में सुनवाई होना संभावित है ।