इंदौर : बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय यूं तो और राजनेताओं की तरह राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं पर उनके व्यक्तित्व का एक पहलू ऐसा भी है जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है। ये पहलू है समाज सेवा। समाज के पीड़ित, वंचित लोगों की मदद करने में वे कभी पीछे नहीं रहते। खासकर त्योहारों की खुशियां वे उन लोगों के साथ बांटते हैं, जिन्हें अपनों ने ठुकरा दिया है, जो कुदरत की नाइंसाफी का शिकार हैं।
वृद्धजनों, दिव्यांगों के साथ मनाया रक्षाबंधन।
भाई- बहन के स्नेह बंधन का पर्व रक्षाबंधन कैलाश विजयवर्गीय ने परदेशीपुरा स्थित आस्था वृद्धाश्रम में मनाया। वे प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी वहां पहुंचे और बुजुर्गों, दृष्टिहीन बालिकाओं और मानसिक रूप से अविकसित बच्चों के साथ रक्षाबंधन की खुशियां बांटी। पश्चिम बंगाल के कल्याणी विधानसभा क्षेत्र से खासतौर पर आए बीजेपी विधायक अम्बिका रॉय और कार्यकर्ता मुनमुन बर्मन भी इस दौरान मौजूद रहे।
दृष्टिहीन बालिकाओं के साथ खेली अंताक्षरी।
कैलाशजी ने इस मौके दृष्टिहीन बालिकाओं के साथ अंताक्षरी खेली। एक से बढ़कर एक गीत इस दौरान कैलाशजी और बालिकाओं ने पेश किए। बालिकाओं की चुनौती के आगे अंततः कैलाशजी को हार माननी पड़ी।
बंधवाई राखी, दिए उपहार।
अंताक्षरी के बाद कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला और बंगाल से आए विधायक अम्बिका रॉय ने भी वृद्धाश्रम की बुजुर्ग महिलाओं, दृष्टिहीन और मंदबुद्धि बालिकाओं से रक्षासूत्र बंधवाया, उन्हें मिठाई खिलाई और उपहार भेंट किए। बंगाल से आई बीजेपी कार्यकर्ता मुनमुन बर्मन ने भी खासतौर पर कैलाश विजयवर्गीय को राखी बांधी।
38 साल से बांट रहें पर्व की खुशियां।
इस मौके पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि वे 1983 से अपनों के प्यार से वंचित वृद्धाश्रम के बुजुर्गों और दिव्यांगों के बीच रक्षाबंधन और दिवाली की खुशियां बांटते आ रहे हैं। जब तक वे यहां नहीं आते पर्व की खुशियां अधूरी रहती हैं।
समाज सेवा का ये मंजर देख अभिभूत हुए विधायक रॉय।
अपनों के ठुकराए लोगों के बीच रक्षाबंधन का पर्व मनाते कैलाश विजयवर्गीय और उनके साथियों को देख पश्चिम बंगाल से आए विधायक अम्बिका रॉय भावविभोर हो गए। उन्होंने कहा कि वे कैलाशजी से बहुत प्रभावित हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में भी सीएए को लेकर जिसतरह अलख जगाया वो अद्वितीय है। वे कैलाशजी से कुछ न कुछ सीखने का प्रयास करते रहते हैं।